Awadhi lokgeet virasat
Item Weight | 418 Grams |
ISBN | 978-9384344399 |
Author | Vidya Bindu Singh |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan |
Book Type | Hardbound |
Publishing year | 2018 |
Edition | 1 |
Return Policy | 5 days Return and Exchange |

Awadhi lokgeet virasat
वाचिक साहित्य अर्थात् लोक-साहित्य की सुदीर्घ परंपरा और उसके विश्वव्यापी विस्तार से आज बुद्धिजीवी वर्ग और साहित्यकार भी न केवल परिचित हुए हैं वरन् उसका महत्त्व भी स्वीकार करने लगे हैं। लोक-साहित्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी सुदीर्घ और समृद्ध है। इसके माध्यम से सांस्कृतिक विकास और सभ्यता के उत्थान-पतन का इतिहास समझा जा सकता है। मानवीय जीवन-मूल्यों के प्रति बदलती दृष्टियाँ और उसकी शाश्वत उपस्थिति सबका प्रामाणिक दस्तावेज भी इसमें सुरक्षित रहता है।अवधी की वाचिक परंपरा में लोकगीतों के रूप में पद्य विधा जितनी समृद्ध है, उतनी ही लोककथाओं के रूप में गद्य विधा भी है। गद्य-पद्य मिश्रित विधा लोकगाथाओं (फोक वैलेड्स), लोक सुभाषित, लोक मुहावरे और लोकोक्तियों की भी समृद्ध परंपरा अवधी में है। कुछ लोक विश्वास, रीति-रिवाज, व्रत-पर्व-त्योहारों की परंपरा भी वाचिक साहित्य के माध्यम से ही पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रहती है।अवधी लोक-साहित्य की वाचिक परंपरा में शास���त्र के वे सभी उद्देश्य समाहित हैं, जिन्हें ऋषि-मुनियों ने अपने ज्ञान के फल के रूप में अपने विचारों के माध्यम से जनहित में अभिव्यक्त किया है। वह ज्ञान लोक चेतना में संचरित होते हुए लोक व्यवहार में उतरता रहा है। उसकी वर्जनाएँ और स्वीकृति दोनों को अवधी लोक-साहित्य ने अभिव्यक्त किया है। अवधी लोकगीतों की यह विरासत पठनीय ही नहीं, संग्रहणीय भी है।____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमकृति के बारे में यह विरासत भावी पीढ़ियों के लिए डॉ. योगेंद्र प्रताप सिंह Pgs—7लोक साहित्य सागर को परिभाषित करती कृति डॉ. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय Pgs—13साहित्य की वाचिक-परंपरा की पृष्ठभूमि Pgs—151. काव्य भाषा के रूप में अवधी का विकास Pgs—232. लोकभाषाएँ और साहित्य Pgs—433. लोक-वार्त्ता के विविध आयाम Pgs—474. कविता की वाचिक-परंपरा का इतिहास Pgs—535. वाचिक कविता के विविध रूप Pgs—596. अवध क्षेत्र के लोकगीतों का वर्गीकरण Pgs—67(i) संस्कार गीत(ii) ऋतु गीत(iii) श्रम-परिहार के गीत(iv) जातीय गीत(v) मुस्लिम संप्रदाय के गीत(vi) धर्म-दर्शन, व्रत-अनुष्ठान और पूजन आदि के गीत(vii) लोरी और पालने के गीत(viii) बच्चों के खेल संबंधी गीत(ix) मुक्त चेतना का काव्य गारीगीत(x) प्रणय संबंधी शृंगार रस के गीत 7. लोकगीतों में सामाजिक-यथार्थ Pgs—2438. लोकगीतों में राजनैतिक चित्र Pgs—3299. वाचिक साहित्य में नारी चेतना का स्वरूप Pgs—33710. लोक जीवन के लोक-विश्वास Pgs—36311. लोक गीतों में आर्थिक जीवन Pgs—38712. लोकगीतों में काव्यशास्त्र Pgs—41713. लोकगीतों में संगीतशास्त्र Pgs—49114. लोक साहित्य की मंगलाशा Pgs—507
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