अस्पताल से जेल तक—गोरखपुर अस्पताल त्रासदी Aspataal se jail tak — Gorakhpur aspataal traasdee (Hindi)
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Language | Hindi |
Publisher | Pharos Media |
Pages | 306 |
ISBN | 978-8172211332 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.37 kg |
Edition | 1st |
डॉक्टर कफ़ील ख़ान का जन्म गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, मणिपाल, कर्नाटक से पीडियाट्रिक्स में एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद, गंगटोक में सिक्किम मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ में सहायक प्रोफ़ेसर के रूप में काम किया। उसके बाद गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बतौर लेक्चरर नियुक्त हो गए। अगस्त 2017 के चिकित्सा संकट के बाद बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल से निलंबित किए जाने और उसके बाद गोरखपुर जेल से रिहा होने के बाद से डॉ॰ ख़ान, अपनी टीम और आम नागरिकों के सहयोग के साथ ‘डॉ॰ कफ़ील ख़ान मिशन स्माइल फ़ाउंडेशन’ के बैनर तले काम कर रहे हैं। जनवरी 2020 में डॉ॰ कफ़ील ख़ान को फिर से गिरफ़्तार किया गया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में उनके कथित भड़काऊ भाषण के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोप लगाया गया; बाद में उन्होंने सात महीने जेल में बिताए। 1 सितंबर 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एनएसए के तहत लगाए गए सभी आरोप हटा दिए गए। डॉ॰ कफ़ील ख़ान को बीआरडी मेडिकल कॉलेज द्वारा 9 नवंबर 2021 को नौकरी से निकाल दिया गया था, और दिसंबर 2021 तक, उनके ख़िलाफ़ निचली अदालतों में मामले चलते रहे, हालाँकि राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा की गई जाँच में उनके ख़िलाफ़ चिकित्सकीय लापरवाही या भ्रष्टाचार का कोई सुबुत नहीं मिला था।
अस्पताल से जेल तक—गोरखपुर अस्पताल त्रासदी Aspataal se jail tak — Gorakhpur aspataal traasdee (Hindi)
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ध्वस्त सरकारी स्वास्थ्य सेवा, भयानक चिकित्सा संकट।
63 बच्चों, 18 वयस्कों का नरसंहार।
वास्तव में क्या हुआ, आज़माइश में फंसे डॉक्टर की ज़ुबानी।
10 अगस्त 2017 की शाम को, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राजकीय बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में तरल ऑक्सीजन ख़त्म हो गई। सूचना के अनुसार, अगले दो दिनों में, अस्सी से अधिक रोगियों —तिरसठ बच्चों और अठारह वयस्कों — की जान चली गई। बीच के घंटों में, कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे जूनियर लेक्चरर डॉ. कफ़ील ख़ान ने ऑक्सीजन सिलेंडरों को सुरक्षित करने, आपातकालीन उपचार करने और अधिक से अधिक मौतों को रोकने के लिए कर्मचारियों को एकजुट करने के असाधारण प्रयास किए।
जैसे ही इस त्रासदी ने राष्ट्रीय ध्यान खींचा, संकट को नियंत्रित करने के लिए लगातार काम करने और सुधार की सख़्त ज़रूरत वाली स्वास्थ्य प्रणाली की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए ख़ान को नायक ठहराया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद, उन्होंने ख़ुद को निलंबित पाया और उनके साथ नौ व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और चिकित्सा संबंधी लापरवाही सहित अन्य गंभीर आरोपों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई। जल्द ही उन्हें इसके लिए जेल भेज दिया गया।
गोरखपुर अस्पताल त्रासदी और अगस्त 2017 की उस भयावह रात की घटनाएँ डॉ. कफ़ील ख़ान के जीवन का पहला ऐतिहासिक अनुभव हैं और उसके बाद शुरू हुआ सख़्त संघर्ष का दौर, एक असीमित अवधि का निलंबन, आठ महीने लंबी क़ैद और अत्यधिक उदासीनता और उत्पीड़न के मुक़ाबले में न्याय के लिए एक अनवरत संघर्ष की कहानी।
63 बच्चों, 18 वयस्कों का नरसंहार।
वास्तव में क्या हुआ, आज़माइश में फंसे डॉक्टर की ज़ुबानी।
10 अगस्त 2017 की शाम को, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राजकीय बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में तरल ऑक्सीजन ख़त्म हो गई। सूचना के अनुसार, अगले दो दिनों में, अस्सी से अधिक रोगियों —तिरसठ बच्चों और अठारह वयस्कों — की जान चली गई। बीच के घंटों में, कॉलेज के बाल रोग विभाग में सबसे जूनियर लेक्चरर डॉ. कफ़ील ख़ान ने ऑक्सीजन सिलेंडरों को सुरक्षित करने, आपातकालीन उपचार करने और अधिक से अधिक मौतों को रोकने के लिए कर्मचारियों को एकजुट करने के असाधारण प्रयास किए।
जैसे ही इस त्रासदी ने राष्ट्रीय ध्यान खींचा, संकट को नियंत्रित करने के लिए लगातार काम करने और सुधार की सख़्त ज़रूरत वाली स्वास्थ्य प्रणाली की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए ख़ान को नायक ठहराया गया, लेकिन कुछ दिनों बाद, उन्होंने ख़ुद को निलंबित पाया और उनके साथ नौ व्यक्तियों के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार और चिकित्सा संबंधी लापरवाही सहित अन्य गंभीर आरोपों के लिए एक प्राथमिकी दर्ज की गई। जल्द ही उन्हें इसके लिए जेल भेज दिया गया।
गोरखपुर अस्पताल त्रासदी और अगस्त 2017 की उस भयावह रात की घटनाएँ डॉ. कफ़ील ख़ान के जीवन का पहला ऐतिहासिक अनुभव हैं और उसके बाद शुरू हुआ सख़्त संघर्ष का दौर, एक असीमित अवधि का निलंबन, आठ महीने लंबी क़ैद और अत्यधिक उदासीनता और उत्पीड़न के मुक़ाबले में न्याय के लिए एक अनवरत संघर्ष की कहानी।
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