Anjur Bhari Ijot
by Romisha
Author | Romisha |
Language | Maithili |
Publisher | Antika Prakashan |
Categories | Collection of Maithili Poems |
Pages | 128 |
ISBN | 978-93-91925-24-6 |
Item Weight | 0.4 kg |
Anjur Bhari Ijot
Maithili आँजुर भरि इजोत रोमिशाक प्रेम सम्बन्धी कविता स्त्री आ मनुष्यक सामूहिक जीवन मे अस्तित्वक अही अविचल यथार्थक वास्तविक मूल्य तकैत अछि। प्रपंच सँ संचालित सामाजिक व्यवस्थाक प्रवंचित मनुष्यक समस्त अभिलाषा केँ हुनकर काव्य-नायिका अपन जाग्रत चेतना सँ देखै छथि, आ जीवन मे किछु महत्त्वपूर्ण करबा लेल व्याकुल रहै छथि। अपन उद्यम मे यत्र-तत्र-सर्वत्र समाजक बहुमुखी आघात सहैतो कखनहुँ हताश नइँ होइ छथि। हुनकर स्त्री, पशु मनोवृत्तिक हिंस्र, खूँखार, वेधक दृष्टि-घात अहर्निश सहिकए क्रमश: पकठोस आ सावधान समझ बना लै छथि। एहेन स्त्री परिवार केँ सुगठित करबा लेल एक-एक साँस लगबै छथि। समस्त कर्तव्यक पूर्ति करैत हुनका एतबा कचोट अवश्य होइ छनि जे समाज आ कि परिवार हुनकहु मादे सोचथि। कवयित्रीक ई अपेक्षा एक टा महत्त्वपूर्ण पक्ष केँ उद्घाटित करैत समाज केँ ई संकेत दैत अछि जे पारिवारिकताक रक्षा मे आ परिवारक गठन मे जीवन झोंकि देनिहारि स्त्रीक पहचान आ हुनकर मनोबलक संज्ञान लेब अनिवार्य अछि। सूर्य, चन्द्रमा, फूल, पवन, प्रकाश, प्रेम, मनुष्यता, नैतिकता, विवेकशीलता, कृतज्ञता आदिक प्रति मोहाविष्ट हएब; प्राकृतिक अवदान सँ आह्लादक रूपक गढ़ब, कविता मे मोहक आ बहुरंगी व्यंजना उपस्थित करब...तय करैत अछि, जे रोमिशा केँ मानवीय परिवेश लेल बड़ बेसी अनुराग छनि। इएह अनुराग हुनका जनसरोकारक दायित्व सँ बन्हने रखतनि, आ हुनकर रचनात्मकता केँ उत्कर्ष देतनि। —देवशंकर नवीन
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