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About Book

अशोक वाजपेयी ने साहित्य और संस्कृति में 60-65 वर्षों का लम्बा सार्वजनिक जीवन बिताया है। कहने की जरूरत नहीं कि यह सार्वजनिक जीवन उनके प्रबन्धन कौशल, प्रशासनिक दायित्वों, काव्य-बोध, साहित्येत्तर कला रूपों के प्रति एक उत्कट जिज्ञासा और दायित्व बोध से निर्मित होता है। इस जिज्ञासा और दायित्व के दायरे में आत्म और पर का युग्म तो है ही, साथ ही सामान्य और विशिष्ट का युग्म भी है। कई बार सामान्य की सामान्यता और विशिष्टता का युग्म भी है। ये दायित्व बोध, जिज्ञासा और युग्म ही अशोक वाजपेयी के संस्मरणों का आधार हैं। संस्मरण यानी स्मरण यानी स्मृति । ये स्मृतियाँ केवल अपने प्रिय व्यक्तित्वों, महानुभावों को याद करना भर नहीं है। इनमें उन्हें याद तो किया ही गया है, साथ ही उनके प्रति गहरी कृतज्ञता का भाव भी है। संस्मरणों की प्रकृतयाः विशिष्टता है कि इनमें पर के साथ आत्म भी आता ही है। इन संस्मरणों में भी अशोक वाजपेयी का आत्म है। इन सबके साथ ही यह आजादी के बाद का जीवन्त मानवीय सन्दर्भ है। यह इतिहास नहीं है, पर मनुष्य का भावात्मक इतिहास है। 'अगले वक़्तों के हैं ये लोग' से गुजरना हमें साहित्य, बोध, समय, कल्पना, स्मृति आदि के विशिष्ट अनुभव से आप्लावित करता है। कुछ-कुछ वैसा ही जब आप नवजात अथवा थोड़े बड़े बच्चे को गोद में लेते हैं, तो उसकी धड़कन आपकी हथेलियों पर, आपके दिल पर लगातार दस्तक देती रहती है और बच्चा जब गोद से उतर आता है, तब भी उसकी अनुभूति आपकी हथेलियों या हृदय पर बसी रहती है।

About Author

अशोक वाजपेयी ने छ: दशकों से अधिक कविता, आलोचना, संस्कृतिकर्म, कलाप्रेम और संस्था-निर्माण में बिताये हैं। उनकी लगभग 50 पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें 18 कविता-संग्रह, 7 आलोचना पुस्तकें एवं संस्मरण, आत्मवृत्त और 'कभी-कभार’ से निॢमत अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने विश्व कविता और भारतीय कविता के हिन्दी अनुवाद के और अज्ञेय, शमशेर, मुक्तिबोध, भारत भूषण अग्रवाल की प्रतिनिधि कविताओं के संचयन संपादित किये हैं और 5 मूर्धन्य पोलिश कवियों के हिन्दी अनुवाद पुस्तकाकार प्रकाशित किये हैं। उनकी कविताओं के पुस्तकाकार अनुवाद अनेक भाषाओं में प्रकाशित हैं।

अनेक सम्मानों से सम्मानित अशोक वाजपेयी ने भारत भवन भोपाल, महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, रज़ा $फाउण्डेशन आदि अनेक संस्थाओं की स्थापना और उनका संचालन किया है। उन्होंने कविता के अलावा साहित्य, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, आधुनिक चित्रकला आदि पर हिन्दी और अँग्रेज़ी में लिखा है।

फ्रेंच और पोलिश सरकारों ने उन्हें अपने उच्च नागरिक सम्मानों से अलंकृत किया है।

कई दशक अपने घरू प्रदेश मध्य प्रदेश में बिताने के बाद वे 1992 से दिल्ली में रहते हैं।

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