Abki Baar Laxmi Narayan Ka Avtar
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Author | Dr. Yogesh Sharma |
Language | Hindi |
Publisher | Rajmangal Publishers (Rajmangal Prakashan) |
Pages | 153 |
ISBN | 978-9390894260 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.4 kg |
Dimensions | 28*18*4 |
Edition | 1st |
Abki Baar Laxmi Narayan Ka Avtar
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हिंदी भाषा के कल्पना (थ्पबजपवद) साहित्य में व्यंग्य एक बड़ी ही महत्वपूर्ण विधा है। इसके माध्यम से व्यक्ति परिवार समाज राजनीति धर्म अर्थ और यहां तक कि ईश्वर जैसे विषयों पर भी बहुत कुछ अभिव्यक्त करने का अवसर मिल जाता है। इसी प्रेरक विचार को मस्तिष्क में रखकर यह लघु काल्पनिक व्यंग्य कथा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।&nbs;brनारायण विष्णु लक्ष्मीनारायण लक्ष्मीपति मायापति और भी बहुत सारे नाम। इनके नौ अवतार तो पहले ही हो चुके हैं। दसवें अवतार के कलयुग में आने का जिक्र है। पर इस बार वैकुंठ का नजारा कुछ बदला हुआ है। लक्ष्मी जी ने सोच लिया है कि इस बार श्रीनारायण को अकेले अवतार नहीं लेने दूंगी!&nbs;brसतयुग त्रेता युग और द्वापर युग में नारायण के अवतारों को लेकर ऐसी ही कुछ कहानियां धर्म शास्त्रों और धर्म ग्रंथों के माध्यम से कही और सुनी जाती रही हैं।&nbs;br/भारतीय संविधान एवं भारतीय राजनीति का पिछले 2 दशकों से अधिक समय से निरंतर अध्ययन कर रहे डॉ. योगेश शर्मा का संबंध मूलतः राजस्थान के जयपुर जिले से है।&nbs;brराजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय में डॉक्टरेट उपाधि प्राप्त करने एवं पिछले लगभग 15 वर्ष से अधिक समय से राजस्थान के अनेक शहरों और दिल्ली में सिविल सेवाओं के अभ्यर्थियों का सफल मार्गदर्शन करने के पश्चात पिछले 3 वर्ष से पूर्णकालिक लेखन को अपना मुख्य क्षेत्र बना लिया है।&nbs;brवर्ष 2020 में लेखक की एक पुस्तक भारतीय संविधान सभा (दृष्टिकोण वैचारिकी एवं बहस) हिन्दी भाषा में प्रकाशित हुई जिसका प्रकाशन राजस्थान सरकार के उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी के द्वारा किया गया है।&nbs;brयह पुस्तक भारतीय संविधान के प्रावधानों की रचना करने में संविधान सभा की बहस और संविधान सभा के सदस्यों के दृष्टिकोण पर केंद्रित है। संविधान लागू होने से लेकर अब तक अर्थात पिछले 70 वर्षों में भारतीय संविधान सभा की बहस पर मूल रूप से हिन्दी में लिखी गई अब तक की यह सम्भवतः एकमात्र पुस्तक है। 600 पृष्ठों से अधिक और सैकड़ों प्रमाणिक संदर्भ सामग्री का उपयोग करते हुए यह पुस्तक विशुद्ध रूप से अकादमिक एवं शोध कार्यों के लिए लिखी गई है।&nbs;brअकादमिक क्षेत्र की कुछ अन्य पुस्तकें और अनुवाद के कार्य से भी लेखक का जुडाव वर्तमान में बना हुआ है। इसी मध्य अध्ययन के रूझान के साथसाथ रचनात्मक लेखन के उद्देश्य से प्रेरित होकर लेखक ने अकादमिक क्षेत्र के साथसाथ अन्य प्रकार के साहित्य को भी स्वभावानुकूल मानते हुए व्यंग्य षैली में प्रस्तुत पुस्तक का लेखन कार्य किया है जिसका शीर्षक रखा गया है "अबकी बार... लक्ष्मी नारायण का अवतार" कलियुग की एक व्यंग्य गाथा।/
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