Aalochak Ka Aatmavlokan
    Regular price
    
        ₹ 577
      
  
  
    
    Sale price
    
        ₹ 577
      
      Regular price
      
        
          ₹ 595
        
      
  
    Unit price
    
  
  
    
          
            
              Save 3%
            
          
        
      
    | Item Weight | 400 Grams | 
| ISBN | 978-9355183545 | 
| Author | Gopeshwar Singh | 
| Language | Hindi | 
| Publisher | Vani Prakashan | 
| Pages | 236 | 
| Book Type | Hardbound | 
| Publishing year | 2022 | 
| Edition | 1st | 
| Return Policy | 5 days Return and Exchange | 
  
  
Aalochak Ka Aatmavlokan
            Product description
          
        
        
          
          
            Shipping & Return
          
        
        
          
          
            Offers & Coupons
          
        
        
          
          
        
        
      
                        
                      
                    आलोचक का आत्मावलोकन वरिष्ठ आलोचक गोपेश्वर सिंह की नवीनतम आलोचना-पुस्तक है। आलोचना में आत्मावलोकन की ज़रूरत पर बल देने वाली इस पुस्तक के ज़रिये गोपेश्वर सिंह विचारधारा और आत्मावलोकन के द्वन्द् की माँग करते हैं। वे साहित्य को वैचारिक निबन्ध की तरह पढ़े जाने को जायज़ नहीं मानते। वे मानते हैं कि रचना में विचार-तत्त्व के साथ रचनाकार का आत्मानुभव भी जुड़ा होता है। इसलिए एक ही समय में एक ही विचारधारा के रचनाकारों में भेद होता है। इसी तरह का भेद आलोचना-लेखन में भी होता है। गोपेश्वर सिंह का कहना है : "इधर के वर्षों में साहित्य में आत्मावलोकन की प्रवृत्ति घटी है। जब से अस्मितावादी राजनीति का वर्चस्व बढ़ा है, रचना-आलोचना में आत्मावलोकन का भाव ज़रूरी नहीं रह गया है। बाइनरी में रचना-आलोचना को देखने का चलन ज़ोरों पर है। अपने विरोधी पर प्रहार और उसकी आलोचना का भाव जितना उग्र है, उतनी ही मन्द है आत्मावलोकन की प्रक्रिया। कुल मिलाकर साहित्यालोचन राजनीतिक दलों के आरोप-प्रत्यारोप का सहोदर होता गया है।" इस कारण साहित्य को पढ़ने का इकहरा प्रतिमान बनता जा रहा है। यह कहने के साथ गोपेश्वर सिंह राजनीति की आलोचना और साहित्य की आलोचना में अन्तर किये जाने की माँग करते हैं। हमारे समय के ज़रूरी सवाल को उठाती गोपेश्वर सिंह की यह नयी आलोचना-पुस्तक साहित्य पढ़ने की आदत बदलने पर ज़ोर देती है और आलोचना को प्रासंगिक बनाये जाने की माँग करती है।
                                     
                      
                  
                      
                    
                  
              - Sabr– Your order is usually dispatched within 24 hours of placing the order.
 - Raftaar– We offer express delivery, typically arriving in 2-5 days. Please keep your phone reachable.
 - Sukoon– Easy returns and replacements within 5 days.
 - Dastoor– COD and shipping charges may apply to certain items.
 
Use code FIRSTORDER to get 5% off your first order.
You can also Earn up to 10% Cashback with POP Coins and redeem it in your future orders.