Yaksha Priya ki Paati
Author | BHAGWATI PRASAD DOBHAL , Jagmohan Sharma |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-8177213133 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.175 kg |
Yaksha Priya ki Paati
'यक्ष प्रिया की पाती' की कथा दो युवा प्रेमियों के अचानक विछोह की कहानी है। यक्ष नाम का युवा, जो अलकापुरी में कुबेर का सेवक था, एक राजकीय अपराध के चलते रामटेक पहाड़ी पर एक वर्ष का निष्कासित जीवन जी रहा था। लेकिन उसकी प्रिया अलकापुरी में रहकर ही विरह वेदना सह रही है। इधर विरही यक्ष को रामटेक पर अचानक वहाँ गुजरते मेघ दिखते हैं। उन्हें यक्ष विनय कर बुलाता है, सम्मानपूर्वक बिठाकर अपनी विरह व्यथा इस आशय से सुनाता है कि ये दूत बनकर यक्ष प्रिया की हालत देखें और मुझे बताएँ। यक्ष मेघ को अलकापुरी का मार्ग, निवास की पहचान तथा प्रिया के सौंदर्य एवं गुणों का विस्तार से वर्णन करता है।महाकवि कालिदास ने अपने काव्य 'मेघदूत' में इस कथानक पर यक्ष की विरह वेदना का अनूठा वर्णन किया है। किंतु कालिदास रचित काव्य में मेघ, दूत बनकर यक्ष का संदेश उसकी प्रेयसी तक नहीं पहुँचा सका है।डॉ. जगमोहन शर्मा की 'यक्ष प्रिया की पाती' और कालिदास के मेघदूत में कथानक की बस ये ही भिन्नता है। डॉ. शर्मा ने इस वृत्तांत को दोहों में रचा है। 366 दोहों में रचित यह काव्य संग्रह कवि की अद्भुत कल्पनाशीलता, भाषा का यथोचित शब्द संयोजन, प्रसंगों के काल और समय के अनुरूप तथा मेघ की यात्रा में आए सुरम्य स्थानों का भौगोलिक एवं प्रकृति सम्मत विवरण इतना आकर्षक बन पड़ा है कि यह सबकुछ दृष्टि के सामने घटनेवाली कोई साक्षात् घटनाक्रम सा लगने लगता है। भाषा, अलंकार तथ�� अद्भुत उपमाओं ने प्रत्येक वर्णन को सजीव बना दिया है।__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमभूमिका — 7प्राकथन — 13लेखकीय — 17पूर्वार्द्ध1. यक्ष/यक्ष प्रिया निवास/अलकापुरी में — 252. यक्ष की राज सभा में उपस्थिति — 273. दंड के पश्चात यक्ष का घर लौटना — 294. यक्ष प्रिया को समझाना — 315. यक्ष का विदा होना — 326. निर्वासित यक्ष (रामटेक पर निवास) — 347. मेघ को बुलाकर अपनी व्यथा सुनाना — 378. प्रिया के रूप, गुणों का वर्णन — 389. मेघदूत की यात्रा प्रारंभ (रामटेक से) — 4010. मेघदूत उज्जैन में — 4111. मेघदूत विदिशा में — 4412. मेघदूत उदयगिरी में — 4713. मेघदूत साँची में — 5614. विदिशा से प्रस्थान — 5815. यक्ष प्रिया की दशा — 61उारार्द्ध16. मेघदूत का अलकापुरी प्रवेश — 7317. मेघ का यक्ष प्रिया के पास पहुँचना — 7618. यक्ष प्रिया की प्रसन्नता — 7719. प्रिया का उार लिखना — 8820. यक्ष प्रिया का प्रेम पर गहन विचार करना — 9021. पाती का संपन्न होना — 9522. मेघदूत का अलकापुरी से विदा होना — 10023. प्रिया के हृदय में ज्ञान का उदय होना — 10224. यक्ष प्रिया प्रेम के विचारों में निमग्न — 10625. प्रिया का पुष्पों की गणना करना — 10726. शगुन के दृश्य — 11127. प्रिया की गृह सज्जा — 11228. पिया आगमन की तैयारी — 11329. सखियों का चकित होना — 11430. प्रिया को यक्ष के आने का आभास — 11631. प्रिया की मन:स्थिति — 11732. मधुर मिलन — 118
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