Veer Vinod – Mewar Ka Itihas (Vol. 1 to 4)
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Author | Kaviraj Shyamal Das |
Language | Hindi |
Publisher | Rajasthani Granthaghar |
Pages | NA |
ISBN | 978-8187720249 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.4 kg |
Veer Vinod – Mewar Ka Itihas (Vol. 1 to 4)
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वीर विनोदवीर विनोद राजस्थान के इतिहास का एक विशालकाय और चिरस्मरणीय ग्रन्थ है। यह सन् 1886 ई. में मुद्रित हुआ था और अब एक दीर्घ अन्तराल के पश्चात् प्रथम बार इसका पुनर्मुद्रण किया जा रहा है। उर्दू-मिश्रित हिन्दी में लिखित एवं एक निराली स्पष्टोक्तिपूर्ण शैली में रचित इस ग्रन्थ ने हिन्दी के शुरू के भारतीय-इतिहास-साहित्य में बहुत उच्च स्थान प्राप्त कर लिया था। Veer Vinod Mewar Historyमेवाड़ का इतिहास (भाग 1 से 4)चार जिल्दों और 2716 पृष्ठों में मुद्रित यह ऐतिहासिक वृत्तान्त मेवाड़ को राजपूत वैभव, शौर्य एवं पराक्रम के केन्द्र के रूप में प्रदर्शित करता है। इसमें प्रमुख घटनाओं से उत्पन्न हलचलों का, उनकी चुनौतियों का तथा विभिन्न महाराणाओं के नेतृत्व में मेवाड़वासियों ने उनका जिस साहस और वीरता के साथ सामना किया, उसका सजीव वर्णन किया गया है। इसके प्रत्येक पृष्ठ पर अस्त्रों की घनघनाहट एवं राजपूत शौर्य के अभूतपूर्व कारनामे अंकित हैं।accordingly ग्रंथकार ने राजस्थानी इतिहास का वर्णन संपूर्ण विश्व के परिप्रेक्ष्य में किया है। इसमें यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, आस्ट्रेलिया तथा एशिया महाद्वीपों का सामान्य सर्वेक्षण किया गया है; भारत पर सिकन्दर के आक्रमण एवं मुसलमानों के आगमन को चित्रित किया गया है; भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर घटनेवाली उन घटनाओं का गंभीर विवेचन-विश्लेषण किया गया है, जिन्होंने मेवाड़ के जन-जीवन को प्रभावित किया तथा हिमालय की गोद में बसे हुए नेपाल-राज्य के इतिहास की भी सूक्ष्म छानबीन की गई है।also राजस्थान के राजनीतिक, आर्थिक एवं प्रशासनिक पहलुओं पर प्रकाश डालने वाली प्रचुर सामग्री बहुमूल्य अभिलेखों, राजकीय दस्तावेजों, अनेक फरमानों तथा आंकड़ों के रूप में इस ग्रंथ में संगृहीत है। basically भारतीय विद्वानों, अनुसंधानकर्ताओं, छात्रों एवं सामान्य पाठकों के द्वारा लम्बे अरसे से इस कृति के पुनर्मुद्रण की मांग की जा रही थी और स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् तो यह मांग और भी जोर पकड़ गई थी। इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रस्तुत प्रयास किया गया है।कविराज श्यामलदास, जिन्होंने यह ग्रंथ लिखा है, मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह in time (1859-84) के दरबार को सुशोभित करने वाले राजकवि थे। उनके विशाल ज्ञान एवं पाण्डित्य से अभिभूत होकर उन्हें ‘महामहोपाध्याय’ तथा ‘कैसर-ए-हिन्द’ की सम्मानजन��� उपाधियों से विभूषित किया गया था। ‘वीर विनोद’ उनकी प्रधान रचना है।Veer Vinod Mewar Historyclick >> अन्य सम्बन्धित पुस्तकेंclick >> YouTube कहानियाँRelatedTRUE
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