Thomas Hardy ki lokpriya kahaniyan
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-9386001337 |
Author | Thomas Hardy |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1 |

Thomas Hardy ki lokpriya kahaniyan
वह अपने जीवन के आखिरी दिनों तक गवर्नस ही रही। फ्रांस के साथ अंतिम शांति समझौता होने के बाद वह अपनी माँ से अवगत हुई, जिसके साथ उसने इन अनुभवों को धीरे-धीरे बाँटा। जब उसके बाल सफेद हो गए और उसके नैन-नक्श सिकुड़ते गए, मिस वी सोचती कि अगर वह जिंदा होगा तो आखिर दुनिया के किस कोने में उसका प्रेमी होगा और क्या वह दुबारा उसको मिल पाएगी? पर जब बीसवें दशक में उसकी मौत हुई, तब उसकी उम्र बहुत ज्यादा भी नहीं थी। सुबह के तारों के नीचे वह आकृति उसकी अंतिम झलक के रूप में रही, जिसे कभी उसने अपने परिवार का दुश्मन माना था, जो कभी उसका वाग्दत्त पति था।वनई परिस्थितियों में धीरे-धीरे करके उसके दर्द की स्थिति भुला दी गई और उसे लोगों ने घुड़सवार फौज के सार्जेंट-मेजर की विधवा के रूप में स्वीकार लिया—एक ऐसी धारणा, जो उसका विनम्र और शोकाकुल आचरण साबित करती प्रतीत हो रही थी। उसका जीवन शांत स्थिति में आ गया था। उसका मन सपने के उदास सुख में डूबा रहता कि वह उसे वहाँ ले जाने के लिए जीवित रहता तो जॉन के साथ न्यूजीलैंड में उसका भविष्य क्या होता। वह केवल घर से बाहर हाट के दिनों में आइवेल जाने और पंद्रह दिनों में एक बार कब्रिस्तान जाने के लिए निकलती थी, जहाँ क्लार्क की कब्र थी। वहाँ जॉनी की मदद से उसने, जैसा कि अन्य विधवाएँ करना चाहती हैं, उसकी कब्र पर फूल-पौधे लगा दिए थे।—इसी संग्रह सेप्रसिद्ध कथाकार थॉमस हार्डी की रोचक-पठनीय-लोकप्रिय कहानियों का संकलन।________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम1. एन्ना, लेडी बेसबाई —Pgs. 72. ड्यूक का पुन: आविर्भाव एक पारिवारिक परंपरा —Pgs. 573. एक घुड़सवार सिपाही का प्रवेश करना —Pgs. 684. अंधविश्वासी व्यति की कहानी —Pgs. 945. एंड्रे सेशैल, पादरी और लर्क —Pgs. 1006. संगीतकार के रूप में बूढ़े एंड्रे का अनुभव —Pgs. 1117. पल्ली की गायन-मंडली में अन्यमनस्कता —Pgs. 1158. मि. जॉर्ज क्रुकहिल के जीवन में घटना —Pgs. 1319. लोक-नृत्य के बेला-वादक —Pgs. 146
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