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सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा (Satya Ke Prayog Athava Atmakatha)
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पुस्तक के बारे में -सत्य के प्रयोग, महात्मा गांधी की आत्मकथा है। यह आत्मकथा उन्होने गुजराती भाषा में लिखी थी। मोहनदास करमचंद गांधी ने ‘सत्य के प्रयोग’ अथवा ‘आत्मकथा’ का लेखन बीसवीं शताब्दी में सत्य, अहिंसा और ईश्वर का मर्म समझने-समझाने के विचार से किया था। गांधी जी ने 29 नवंबर, 1925 को इस किताब को लिखना शुरू किया था और 3 फरवरी, 1929 को यह किताब पूरी हुई थी। हर 27 नवम्बर को ‘सत्य का प्रयोग’ के आधारित प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता हैं। यहां कुछ उक्तियां हैं जो गांधी जी ने अपनी आत्म कथा - सत्य के प्रयोग -- में कही हैं। ये उनके जीवन दर्शन को दर्शाती हैं। पिछले तीस सालों से जिस चीज को पाने के लिये लालायित हूं वो है स्व की पहचान, भगवान से साक्षात्कार, और मोक्ष। इस लक्ष्य के पाने के लिये ही मैं जीवन व्यतीत करता हूं। मैं जो कुछ भी बोलता और लिखता हूं या फिर राजनीति में जो कुछ भी करता हू वो सब इन लक्ष्यो की प्राप्ति के लिये ही है। लेखक के बारे में - मोहनदास करमचन्द गांधी (1869 - 1948) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर बैरिस्टर बने। वे भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए आजादी की लड़ाई में सत्याग्रह और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया तथा सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के लिये इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी तथा उसी से भारत को स्वतन्त्रता दिलाई। उन्हें दुनिया में आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है। गांधीजी ने अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास में ‘फीनिक्स’ आश्रम की स्थापना की तथा वहाँ से ‘इंडियन ओपिनियन’ अखबार निकाला। स्वदेश लौटकर आजादी की लड़ाई के पथ-प्रदर्शक बने। उन्होंने ‘हरिजन’ सहित कई समाचार-पत्रों का संपादन किया तथा अनेक पुस्तकें लिखीं। बापू ने ‘सत्याग्रह’, ‘सविनय अवज्ञा’, ‘असहयोग आंदोलन’ तथा ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलनों का नेतृत्व कर भारत को स्वतंत्र कराया। समाज-सुधारक और विचारक के रूप में भी उनका योगदान अनुपम है। जातिवाद, छुआछूत, परदा-प्रथा, बहु-विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेदभाव जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के सुधार हेतु रचनात्मक संघर्ष किया और राष्ट्रीय एकता के लिए हिंदी को ‘राष्ट्रभाषा’ घोषित किया। गांधीजी को बापू सम्बोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे। सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयन्ती के रूप में तथा पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। The Title 'सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा (Satya Ke Prayog Athava Atmakatha) written/authored/edited by महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi)', published in the year 2022. The ISBN 9788121265058 is assigned to the Hardcover version of this title. This book has total of pp. 540 (Pages). The publisher of this title is Gyan Publishing House. This Book is in Hindi. The subject of this book is Autobiography. Size of the book is 14.34 x 22.59 cms Vol:-
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