Smritiyon me basa samaya
Author | Chandrakumar |
Language | Hindi |
Publisher | Setu Prakashan |
Pages | 104 |
ISBN | 978-93-91277-41-3 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.198 kg |
Dimensions | 129 x 198 mm |
Edition | 1st |
Smritiyon me basa samaya
About Book
स्मृतियों में बसा समय युवा कवि चंद्रकुमार का पहला कविता संग्रह है। भयावह और क्रूर होते जा रहे समय में कवि की कविताएं आश्वस्ति की तरह हैं, ये स्मृतियाँ वह कोण हैं जीवन का जहां आप और हम स्वयं को बार-बार खोजते हैं, बार-बार जीवन का सार ग्रहण करते हैं। समय गति है, जिससे स्थायी-स्वभाव वाली स्मृति उलझती रहती है। समय और स्मृति के इसी उलझाव-सुलझाव में हमारी पहचान पोशीदा है। 'होना' और 'मैं' दोनों कवि की स्मृति में बँधे हैं या स्मरण करना''होना' है यह सिलसिला 'सर्वशास्त्राणं प्रथमं ब्रह्मणां स्मृतम्' तक पहँचता है। अर्थात् प्राचीनता के साथ नित्य नवीनता तक। चन्द्रकुमार ने इसीलिए स्मृतियों को चुनना पसन्द किया है। अक्सर/ स्मृतियाँ ही चुनता हूँ मैं प्रेमी से ज़्यादा/ कवि बनकर जीता हूँ। जो अपने लिए कवि होकर जीने' का वरण करता है और स्मृतियाँ चुनता है, वह कहीं न कहीं यह भी मानता है कि कवि होना-स्मृतिजीवी होना है और स्मृति को शब्द बनाना, कविता ‘बनाना' है। दूसरे शब्दों में, कवि होना शब्द के स्मृति-गुण को पहचानना है। शब्द के पास अमरत्व है-अक्षर निर्मित है, इसीलिए, चन्द्रकुमार अपने अमर रह सकने का रास्ता कविता में ढूँढ़ते हैं : तुम मुझे कविता बनाकर/ दर्ज कर लो/ लिखे को यूँ मिटना आसान नहीं/ महकता रहूँगा तुम्हारे/ शब्दों में जब-जब पढ़ेगा कोई/कविता।
About Author
चन्द्रकुमार एक निजी सूचना प्रौद्योगिकी कम्पनी में निदेशक का कार्यभार सँभालने के साथ-साथ साहित्य और सम-सामयिक विषयों पर पठन-लेखन करते हैं। स्थानीय समाचारपत्र में युवाओं के मार्गदर्शन के लिए लम्बे समय तक स्तम्भ लेखन के साथ ही कला, संस्कृति, लोक-जीवन, शिक्षा, खेल, विज्ञान और समकालीन मुद्दों पर उनके आलेख मधुमती, नवनीत, नटरंग, उदन्ती, क, आकृति, सुजस, जनसत्ता इत्यादि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
हाल ही में प्रकाशित 'आॢटफिशियल इण्टेलिजेन्स बनाम लेखन का भविष्य’ मधुमती और 'तकनीकी विकास और संवेदना का संक्रान्ति काल’ नवनीत में प्रकाशित आलेखों ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। इसके साथ ही अलग-अलग विधाओं में रची समकालीन कृतियों पर पाठकीय दृष्टि से कुछ समीक्षात्मक टीपें राजस्थान पत्रिका व पक्षधर, मधुमती सहित साहित्यिक पत्रिकाओं और जानकीपुल वैबपोर्टल पर प्रकाशित हुई हैं।
विरासत-संरक्षण अभियान के तहत चन्द्रकुमार ने 'युवायन’ के हिन्दी और अँग्रेज़ी भाषा के हवेली विशेषांकों का सम्पादन भी किया है।
सम्पर्क : 702, एमरॉल्ड-यूडीबी, नन्दपुरी अण्डरपास, अशोक विहार, मालवीय नगर, जयपुर-302017
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