Setu samagra : vishnu khare
Author | Vishnu khare |
Language | Hindi |
Publisher | Setu Prakashan |
Pages | 544 |
ISBN | 978-81-940470-9-4 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.489 kg |
Dimensions | 139.7 x 215.9 mm |
Edition | 1st |
Setu samagra : vishnu khare
About Book
विष्णु खरे हिंदी के विलक्षण कवि हैं कई अर्थों में। भाषा और कॉन्टेंट दोनों स्तरों पर उन्होंने हिंदी कविता को समृद्ध किया, कविता तब तक जैसी थी, उससे आगे बढ़ी। इस विस्तार के प्रति समझ रखने के कारण ही रघुवीर सहाय जैसे वरिष्ठ कवि विष्णु खरे को अपनी पीढ़ी का श्रेष्ठ कवि मानते थे।
इनकी कविताओं को एक साथ पढ़ना न केवल एक कवि की काव्य-यात्रा से गुजरना है, अपितु उस यात्रा के बहाने समय, समाज, देशकाल की संवेदनात्मक समझ अर्जित करना है, जिसमें विष्णु खरे भी और एक पाठक के रूप में हम भी रह रहे हैं। इसका प्रमाण इनकी कविताओं में आया विवरण है। कविताओं में जो विवरणों की भरमार है, वह मात्र रचनात्मक टूल नहीं है। विवरणों के कारण ही स्थितियों के प्रति, वर्णित विषय के प्रति पाठकों में विश्वसनीयता जगती है। इन विवरणों से इनकी बहुआयामी समझ, ज्ञान का भी परिचय मिलता है। परंतु ये विवरण कभी भी और कहीं भी एकांगी नहीं हैं। ये विवरण सूचना से आगे बढ़कर कविता की संवेदनात्मक संरचना का हिस्सा बन जाते हैं।
भावावेश के बिना मध्यवर्ग की समस्याओं, स्थितियों, विषयों को विष्णु खरे कविता में रूपांतरित करते हैं। मध्यवर्गीय स्थितियों के विवरण के बीच से जो कविता निर्मित होती है, वह भाषिक विधान में तो लगभग अभिधा होती है, परंतु उसके प्रभाव का विस्तार दूर तक जाता है। इससे कविता की संवेदनात्मक संरचना में गंभीर विस्तार होता है। इन कविताओं से एक साथ गुजरते हुए पाठक विष्णु जी की संवेदनात्मक संरचना से भी परिचित होता है, साथ ही समाज के प्रति उनके दृष्टिकोण से भी। उनका यह दृष्टिकोण कविता में विषय के साथ ट्रीटमेंट के कई स्तरों को एक साथ उद्घाटित करता है। विषय चयन, भाषिक प्रयोग, शब्द चयन में इसका प्रभाव दिखायी देता है। व्यंग्य, विद्रूप, विडंबना ये जगह-जगह अपनी कविता में टूल की तरह इस्तेमाल करते हैं।
इस संग्रह की भूमिका मंगलेश डबराल ने लिखी है। वह भी इस संपूर्ण संग्रह को समझने की दृष्टि से उपयोगी बन पड़ा है।
About Author
विष्णु खरे
जन्म: 9 फरवरी, 1940, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) निधन : 19 सितंबर, 2018
शिक्षा : क्रिश्चियन कॉलेज, इंदौर से 1963 में अंग्रेजी साहित्य में एम.ए.।
प्रकाशित कृतियाँ : 'खुद अपनी आँख से', 'पिछला बाकी', 'सब की आवाज के पर्दे में', 'काल और अवधि के दरमियान', 'लालटेन जलाना', 'कवि ने कहा', 'पाठांतर', 'प्रतिनिधि कविताएँ एवं और अन्य कविताएँ।
अशोक वाजपेयी द्वारा पहचान' सीरीज (1970) की शुरुआत 'विष्णु खरे की बीस कविताएँ' से।
मरु-प्रदेश और अन्य कविताएँ (टी.एस. एलियट की कविताओं का अनुवाद), गोएठे का काव्य-नाटक 'फाउस्ट', फ़िनी महाकाव्य 'कालेवाला', एस्टोनियाई महाकाव्य 'कलेवीपोएग', डच उपन्यासकार-द्वय सेस नोटेबोम और हरी मूलिश की कृतियों का अनुवाद। लोठार लुत्से के साथ हिंदी कविता के जर्मन अनुवाद 'डेअर ओक्सेनकरेन' का संपादन। नवभारत टाइम्स में सैकड़ों संपादकीय, लेख, फिल्म समीक्षाएँ, अंग्रेजी में दिपायनियर, दि हिंदुस्तान टाइम्स, फ्रंटलाइन में फिल्म तथा साहित्य पर लेखन।
पुरस्कार : फिनलैंड का राष्ट्रीय 'नाइट ऑफ दि ऑर्डर ऑफ दि व्हाइट रोज' सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, शिखर सम्मान, हिंदी अकादमी, दिल्ली का साहित्य सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान।
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