SCINDIA AUR 1857
Author | DR. RAKESH PATHAK |
Language | Hindi |
Publisher | Setu Prakashan |
Pages | 264 |
ISBN | 9788119899319 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.0 kg |
Edition | First |
SCINDIA AUR 1857
झाँसी के नेवालकर और ग्वालियर के सिंधिया, दोनों ही शासक पेशवा द्वारा नियुक्त सूबेदार थे। डॉ. राकेश पाठक ने दोनों राज्यों के रिश्तों की गहरी ऐतिहासिक पड़ताल करते हुए उन सूत्रों की तलाश की है जिनकी वजह से जयाजीराव सिंधिया और रानी लक्ष्मीबाई का कोई साझा मोर्चा बन पाना सम्भव नहीं था। उस समय के गजेटियर तथा अन्य दस्तावेजों की सहायता से न सिर्फ़ उन्होंने उस दौर के देसी राजाओं की राजनीति का खुलासा किया है अपितु अँग्रेज़ों की उस कूटनीति का भी पर्दाफाश किया है।सिंधिया परिवार और नेवालकर वंश की भीतरी राजनीति की विवेचना से यह भी तथ्य सामने आता है कि कम से कम उस दौर में एक राष्ट्र के रूप में भारत की संकल्पना सिरे से अनुपस्थित थी। अपने विशेषाधिकारों और अपनी सत्ताओं को बचाना ज्यादातर रियासतों का पहला और अन्तिम उद्देश्य था और 1857 में उनमें से ज्यादातर के हस्तक्षेप इसी स्वार्थपूर्ण उद्देश्य से संचालित हुए।
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