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About Book

सामाजिक-ऐतिहासिक समय के बरक्स कलाएँ क्या 'दूसरा समय’ रचती हैं? रसिकता का जो आभिजात्य शास्त्रीय कलाओं को मिला है अन्य कलाओं को क्यों सुलभ नहीं? हर कला का अर्थ किस तरह अलग है? क्या आज की ललित कला इसलिए समझ में नहीं आती कि वह पढ़ने के बजाय देखने पर इसरार करती है? हर अर्थ की नियति वागर्थ होना नहीं है? रंगमंच कैसे अपना नहीं हमेशा ही दूसरों का माध्यम है? कलाओं के अपने-दूसरे क्या हैं? कलाओं के परिवर्तन मूलत: या अन्तत: सामाजिक परिवर्तन के संस्करण या अनुषंग नहीं होते हैं? कलाओं और साहित्य की आपसी बेखबरी के क्या नतीजे निकले हैं? आधुनिकता ने कलाओं की भारतीय परिस्थिति में कैसा वर्ण-विभाजन किया है? देह, आवाज़ का अमूर्तन नृत्य या ध्रुपद में कैसे होता है? समकालीनता और सनातनता के द्वन्द्व का कलाओं में क्या आशय है? ऐसे अनेक प्रश्न, दार्शनिक जिज्ञासा और सामाजिक चिन्ता कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी के उन निबन्धों में प्रगट हैं जो यहाँ संगृहीत हैं। पहली बार समकालीन कलाओं का समग्र परिदृश्य किसी सर्वेक्षण के माध्यम से नहीं कुछ बुनियादी सरोकारों और गहरी विचारशीलता से प्रगट होता है। निबन्धों के अलावा कुमार गन्धर्व पर बहुचर्चित कविता-समुच्चय 'बहुरि-अकेला’, मल्लिकार्जुन मंसूर, मक़बूल फिदा हुसेन, जगदीश स्वामीनाथन, शमशेर बहादुर सिंह, अली अकबर खाँ पर कविताएँ भी यहाँ संकलित हैं, अग्रणी चित्रकार जगदीश स्वामीनाथन के रेखांकन भी।

हिन्दी की यह अपनी तरह की पहली और अभूतपूर्व पुस्तक है। हिन्दी में, और सम्भवत: भारतीय भाषाओं में, पहली बार एक साहित्यकार ने अपने समय की कलाओं से आलोचना और रचना दोनों स्तरों पर उलझने और उन्हें अपनी विशिष्टता में समझने की कोशिश की है।

इसका नया संस्करण हमारे लिए प्रसन्नता की बात है।

About Author

अशोक वाजपेयी ने छ: दशकों से अधिक कविता, आलोचना, संस्कृतिकर्म, कलाप्रेम और संस्था-निर्माण में बिताये हैं। उनकी लगभग 50 पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें 18 कविता-संग्रह, 7 आलोचना पुस्तकें एवं संस्मरण, आत्मवृत्त और 'कभी-कभार’ से निॢमत अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने विश्व कविता और भारतीय कविता के हिन्दी अनुवाद के और अज्ञेय, शमशेर, मुक्तिबोध, भारत भूषण अग्रवाल की प्रतिनिधि कविताओं के संचयन संपादित किये हैं और 5 मूर्धन्य पोलिश कवियों के हिन्दी अनुवाद पुस्तकाकार प्रकाशित किये हैं। उनकी कविताओं के पुस्तकाकार अनुवाद अनेक भाषाओं में प्रकाशित हैं।

अनेक सम्मानों से सम्मानित अशोक वाजपेयी ने भारत भवन भोपाल, महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, रज़ा $फाउण्डेशन आदि अनेक संस्थाओं की स्थापना और उनका संचालन किया है। उन्होंने कविता के अलावा साहित्य, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, आधुनिक चित्रकला आदि पर हिन्दी और अँग्रेज़ी में लिखा है।

फ्रेंच और पोलिश सरकारों ने उन्हें अपने उच्च नागरिक सम्मानों से अलंकृत किया है।

कई दशक अपने घरू प्रदेश मध्य प्रदेश में बिताने के बाद वे 1992 से दिल्ली में रहते हैं।

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