Ritikavya Ki Itihas drashti
Author | Dr. Sudhindra Kumar |
Language | Hindi |
Publisher | Vani Prakashan |
Pages | 298 |
ISBN | 9788170000000 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.45 kg |
Dimensions | 5.30"x8.50" |
Edition | 2nd |
Ritikavya Ki Itihas drashti
रीतिकाव्य की इतिहासदृष्टि - रीतिकाल के कवियों ने निजी तौर पर समकालीन राजनैतिक और ऐतिहासिक संघर्षों एवं समझौतों का बारीकी से पर्यवेक्षण और वर्णन किया था। उनके द्वारा रचित ऐतिहासिक काव्यों में न तो कोरी प्रशस्ति है, न केवल चाटुकारिता और न मात्र कल्पना। ब्रजभाषा, राजस्थानी और दक्खिनी हिन्दी के उन प्रत्यक्षदृष्टा कवियों ने उस काल का जो कविताबद्ध इतिहास लिखा था, इतिहासकार उन भाषाओं और उन भाषाकाव्य-परम्पराओं से अपरिचय के कारण उनकी अभी तक उपेक्षा करते रहे हैं। अगर इन तीन भाषाओं के ऐतिहासिक महत्त्व के काव्यों के गम्भीर अध्ययन और तर्कसंगत विवेचन का तटस्थ प्रयास किया जाय तो इतिहासकारों को मुग़लकालीन इतिहास के कई अनछुए पहलुओं, अज्ञात विचार सरणियों, नवीन घटनाओं और उनके कारणों की जानकारी अवश्य मिलेगी। प्रस्तुत अध्ययन से मुग़ल इतिहास के विशेषज्ञों और अध्येताओं को इस विषय में नयी जानकारी देने वाले तथ्य प्राप्त होंगे और कई मामलों में मुग़ल इतिहास के कुछ भागों के पुनर्लेखन की आवश्यकता भी अनुभव होगी, इसमें कोई सन्देह नहीं है।
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