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Rekhta Rauzan 3rd Edition
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रेख़्ता रौज़न के बारे में
रेख़्ता रौज़न रेख़्ता फ़ाउंडेशन द्वारा प्रकाशित एक त्रैमासिक उर्दू पत्रिका है। यह पत्रिका उर्दू भाषा के दुर्लभ और शानदार साहित्यिक ख़ज़ाने को सामने लाने की एक अनूठी पहल है। 200 से अधिक पृष्ठों में प्रस्तुत, रेख़्ता रौज़न आधुनिक और प्राचीन उर्दू साहित्य दोनों का एक अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करता है। इस पहल का एकमात्र उद्देश्य हमारे सुधी श्रोताओं को उस साहित्य से परिचित कराना है जो पुरानी, अज्ञात पत्रिकाओं में बंदी रहा है या जो अब किन्हीं कारणों से उपलब्ध नहीं है। रेख़्ता रौज़न के माध्यम से, हम आम पाठकों के बीच भारत और पाकिस्तान के विद्वान लेखकों और साहित्यकारों को उजागर करने का प्रयास करते हैं।

साहित्य की पुरानी और नई प्रवृत्तियों के साथ-साथ उर्दू भाषा का बदलता दृष्टिकोण हमारे राजनीतिक और सांस्कृतिक जीवन की विरासत है; जिनके अंतर्विरोध और समानताएँ हमें आने वाली दुनिया की गति के साथ-साथ दिशा का आकलन करने में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

यह पत्रिका उर्दू और देवनागरी दोनों लिपियों में उपलब्ध है।

संपादक के बारे में
मोहतरमा हुमा ख़लील को अपने पिता, ख़लीलुर्रहमान आज़मी की पुस्तक 'उर्दू में तरक़की-पसंद अदबी तहरीक' सहित अनुवादों में एक विस्तृत अनुभव है, जिसे अंग्रेजी में 'मैनी समर्स अपार्ट' शीर्षक के साथ प्रकाशित किया गया था। उनकी दूसरी पुस्तक 'द एल्योर ऑफ अलीगढ़' अलीगढ़ शहर के काव्य जीवन पर आधारित है। हुमा ख़लील ने ख़लीलुर्रहमान आज़मी के संपूर्ण लेखन को भी संकलित किया है और 'बज़्म-ए-अदब' नामक एक महिलाओं की पत्रिका की संपादक भी हैं।

ریختہ روزن کے بارے میں
ریختہ روزن ایک سہ ماہی اردو رسالہ ہے جو ریختہ فاؤنڈیشن سے شائع ہوتا ہے۔ یہ رسالہ اردو زبان کے نادر اور شاندار ادبی خزانے کو اجاگر کرنے کا ایک منفرد اقدام ہے۔ 200 سے زائد صفحات پر مشتمل ریختہ روزن جدید اور قدیم اردو ادب دونوں کا منفرد امتزاج پیش کرتی ہے۔ اس اقدام کا واحد مقصد قدردان سامعین کو اس ادب سے متعارف کرانا ہے جو پرانے، نامعلوم میگزینوں کا اسیر رہا ہے جو اب دستیاب بھی نہیں۔ ریختہ روزن کے ذریعے، ہم ہندوستان اور پاکستان کے معروف مصنفین اور ادبی شخصیات کو عام قارئین کے درمیان اجاگر کرنے کی کوشش کرتے ہیں۔

ادب کے پرانے اور نئے رجحانات اور اردو زبان کا بدلتا ہوا انداز ہماری سیاسی اور ثقافتی زندگی کا ورثہ ہے۔ جن کے تضادات اور مماثلتیں رفتار اور آنے والی دنیا کی سمت کا اندازہ لگانے میں ہماری مدد کرتی ہیں۔

یہ رسالہ اردو اور دیوناگری دونوں رسم الخط میں دستیاب ہے۔

ایڈیٹر کے بارے میں
محترمہ ہما خلیل کو تراجم کا وسیع تجربہ ہے جس میں ان کے والد خلیل الرحمٰن اعظمی کی کتاب ’اردو میں ترققی پسند ادبی تحریک‘ ہے جو انگریزی میں ’مینی سمرز اپارٹ‘ کے عنوان سے شائع ہوئی تھی۔ ان کی دوسری کتاب 'دی الیور آف علی گڑھ' علی گڑھ شہر کی شاعرانہ زندگی پر مبنی ہے۔ ہما خلیل نے خلیل الرحمٰن اعظمی کی مکمل تحریریں بھی مرتب کی ہیں اور خواتین کے ایک میگزین ’بزمِ ادب‘ کی ایڈیٹر بھی ہیں
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