Rajneetik Parivesh Ke Ekanki
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-8173152047 |
Author | Giriraj Sharan |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Book Type | Hardbound |
Edition | 1st |

Rajneetik Parivesh Ke Ekanki
तुम बहुत भोली हो, बेगम! बदले हुए हालात से परिचित नहीं हो। तुम नहीं जानतीं कि राजनीति की शतरंज कैसे खेली जाती है! दौलत, दारू और दबदबा-इस त्रिकोण के ये तीन मुख्य बिंदु हैं।'' अच्छा, तो इस त्रिकोण का तीसरा मुख्य बिन्दु पन्नालाल इसीलिए आज आपके सहयोगियों में शामिल है! शराब का यह बदनाम ठेकेदार नकली शराब से कितने ही लोगों की जान ले चुका है अब तक!''''तो इससे क्या हुआ? उस दिन देखना, जब चुनाव से पहली रात गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले दारू के प्याऊ खोल दिए जाएँगे। लोग पिएँगे, झूमेंगे, नाचेंगे, ' शानदार अली खाँ जिन्दाबाद' बोलेंगे और झोलियाँ भर- भरकर अपने वोट मत-पेटियों में बन्द कर देंगे।''' ' यह तुम्हारी भूल है, अली! लोग अब इतने मूर्ख नहीं रहे हैं।''' ' तो अक्लमन्दो को सबक सिखानेवाले भी मेरे पास हैं, बेगम! जबरसिंह और भूसा पटेल, यानीं-नोट और खौफ।' '- इसी संकलन सेजनता और उसके कल्याण के नाम पर जनतंत्र की नकली नौटंकी के वर्तमान परिदृश्य तथा राजनीतिक आदर्शों, आस्थाओं, मूल्यों और मर्यादाओं की लगातार दुर्दशा के जाने-पहचाने दृश्यबंध, जो अपनी निर्मम निर्लज्जता से दहलाते हैं, मतलबी मक्कारियों से मायूसी की मनहूसियत फैलाते हैं और पाठक के मन में जगाते हैं कुछ अनबूझे सवाल-राजनीतिक परिवेश के एकांकी
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