Punjab Ki Lokkathayen
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Author | Phulchand Manav |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9355210395 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.2 kg |
Edition | 1 |
Punjab Ki Lokkathayen
Product description
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पंजाब की लोककथाएँ प्रेम और अनुराग के संबंधों में धड़कती शाश्वत कहानियाँ हैं। इसलिए कि भारत की आजादी से पहले, पाकिस्तान में स्थित क्षेत्रों में भी ये गूँज छोड़ रही हैं। लोकगीतों में इनके संदर्भ उभरते हैं—टप्पे, सिट्ठणियाँ, बोलियाँ, गिद्दे अथवा भाँगड़े के साथ हमें स्पंदित कर जाते हैं। 1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा व हिमाचल के अस्तित्व में आने के बाद भी जो पंजाब आज है, उसमें लोककथाओं की भरपूर विरासत है। यहाँ मालवा, माँझा, दोआबा और पुआध अपनी मूल रंगत में दिपदिपा रहे हैं। सांस्कृतिक संपदा और पारंपरिक कथा-क्षेत्र में प्रेम-प्यार और लोक की लुभावनी गाथाएँ सुना रहे हैं। लोक-व्यवहार, लोक-परंपरा से लेकर लोक-गीतों में भी हमारे यहाँ कहानियों की भरमार है। हीर-रांझा, सस्सी-पुन्नू, शीरी-फरहाद या सोहनी-महिवाल से आगे कामकंदला जैसी सैकड़ों प्रेमकथाएँ हैं, जिनमें लोक-रंग गहरा उभरा है और इन्हें पीढ़ी-दर-पीढ़ी हम सुनते आए हैं। पंजाबी भाषा के किस्साकारों ने अपनी रचनाओं में काव्य कौतुक दिखाकर दर्जनों चिट्ठे-किस्से, प्यार-गाथाओं एवं लोककथाओं के छपवाएँ हैं। शिव कुमार बटालवी की लूणा पूर्ण भगत को बयान करत��� लोककथा ही तो है। हिंदी पाठक पंजाब की लोककथाओं का आनंद ले पाएँ, प्रस्तुत संकलन इसी उद्देश्य से तैयार हुआ है।
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