Pt. Bhimsen joshi
Author | Vasant Potdar |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9350481707 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.177 kg |
Edition | 1st |
Pt. Bhimsen joshi
पं. भीमसेन जोशी का जन्म 4 फरवरी, 1922 को गडग (कर्नाटक) में हुआ। उन्हें बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। वह किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे। सन् 1932 में वह गुरु की तलाश में घर से निकल पड़े। अब्दुल करीम खान के शिष्य पं. रामभाऊ कुंडालकर से उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शुरुआती शिक्षा ली। घर वापसी से पहले वह कलकत्ता और पंजाब भी गए। भीमसेन जोशी ने 19 वर्ष की उम्र में पहली बार किसी सार्वजनिक मंच से अपनी गायन कला का प्रदर्शन किया। उन्होंने पहली बार जनवरी 1946 में अपने गुरु सवाई गंधर्व के 60वें जन्मदिवस पर पुणे में अपना गायन प्रस्तुत किया था।पं. भीमसेन जोशी ने अपनी विशिष्ट शैली विकसित करके किराना घराने को समृद्ध किया और दूसरे घरानों की विशिष्टताओं को भी अपने गायन में समाहित किया। उन्हें इस बात का भी श्रेय जाता है कि उन्होंने कई रागों को मिलाकर 'कलाश्री' और 'ललित भटियार' जैसे नए रागों की रचना की।भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत-रत्न' के अलावा उन्हें देश तथा विश्व भर के अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया गया। अपने मधुर गायन से सबको सम्मोहित करनेवाले अप्रतिम गायक पं. भीमसेन जोशी की प्रामाणिक जीवनी, जो हर संगीत-प्रेमी और कलाकार को रोमांचित कर देगी।____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमणिकाभूमिका — Pgs. ७१. कलंदरों सी जिद — Pgs. १३२. एक गुरु : बारह सूर्य — Pgs. ४०३. गुरु गृह में (पूर्वरंग) — Pgs. ६०४. दर-दर भटकना — Pgs. ६६५. गुरुगृह में (उत्तररंग) — Pgs. ७२६. कल्पवृक्ष के फूल कानों में खोंसे — Pgs. ७७७. पुनरपि चरैवेति — Pgs. ८४८. मंगलूर में — Pgs. ९२९. कोलकाता — Pgs. ९९१०. जालंधर — Pgs. ११९११. स्वर ने नापी धरती — Pgs. १३२१२. वरदहस्त — Pgs. १३८१३. भीमसेन और... १४८१४. 'संतवाणी' — Pgs. १६७१५. ऋषि — Pgs. १७३१६. गुरु — Pgs. १८३१७. भीमसेन उवाच — Pgs. १९३१८. कीमियागर — Pgs. १९९१९. वंश बेल — Pgs. २०७२०. जनकाध्याय — Pgs. २११२१. स्वभाव — Pgs. २१७२२. शौक — Pgs. २३३२३. आज यहाँ, तो कल... २४१२४. वत्सला-भीमसेन — Pgs. २४६२५. गपशप — Pgs. २५५२६. मेरे दो तानपुरे भी — Pgs. २६०२७. पुनर्जन्म — Pgs. २६५२८. उपसंहार — Pgs. २६९२९. दिनक्रम — Pgs. २७४श्रेयनामावली — Pgs. २७७संदर्भ-ग्रंथ — Pgs. २७९
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