लहर से
2. उठ उठ री लघु-लघु लोल लहर ..............10
3. ले चल वहाँ भुलावा देकर .................. 12
4. हे सागर संगम अरुण नील ................... 14
5. उस दिन जब जीवन के पथ में ................ 17
6. बीती विभावरी जाग री ..................... 20
7. आह रे वह अधीर यौवन ..................... 22
8. चिर तृषित कंठ से तृप्त-विधुर ............ 25
9. तुम्हारी आँखों का बचपन ................. 28
10. अब जागो जीवन के प्रभात ................ 30
11. कोमल कुसुमों की मधुर रात ............... 32
12. कितने दिन जीवन जलनिधि में ............. 34
13. कुछ दिन कितने सुंदर थे ................. 36
14. मेरी आँखों की पुतली में ................ 38
15. अपलक जगती हो एक रात ................... 40
16. काली आँखों का अंधकार ................. 42
17. अरे कहीं देखा है तुमने ................ 44
18. अरे आ गई है भूली-सी .................. 46
19. निधरक तूने ठुकराया तब ................ 48
20. ओ री मानस की गहराई ................... 50
कामायनी से
21. तुमुल कोलाहल कलह में ............................... 52
स्कंदगुप्त से
22. आह ! वेदना मिली विदाई ............................ 55
राज्यश्री से
23. आशा विकल हुई है मेरी .............................. 58
24. सम्हाले कोई कैसे प्यार ............................. 60
अज्ञातशत्रु से
25. मीड़ मत खिंचे बीन के तार ......................... 62
स्कंदगुप्त से
26. संसृति के वे सुंदरतम क्षण ........................ 64
27. न छेड़ना उस अतीत स्मृति से ....................... 66
28. सब जीवन बीता जाता है ........................... 68
29. माझी साहस है खे लोगे ............................. 70
30. भाव-निधि में लहरियाँ तभी .......................... 72
31. अगरु-धूम की श्याम लहरियाँ ....................... 74
एक घूँट से
32. खोल तू अब भी आँखें खोल ......................... 76
33. जीवन में उजियाली है ............................... 78
34. जलधर की माला ..................................... 80
चंद्रगुप्त से
35. तुम कनक किरण के अंतराल में ................... 82
36. अरुण यह मधुमय देश हमारा ....................... 84
37. प्रथम यौवन-मदिरा से मत्त ......................... 86
38. आज इस यौवन के माधवी कुंज में ................ 88
39. -सीकर से नहला दो ................................. 90
40. मधुप कब एक कली का है ........................ 92
41.ओ मेरी जीवन की स्मृति ........................ 94
42.हिमाद्रि तुंग श्रृंग से ......................... 96
43.सखे ! यह प्रेममयी रजनी ......................... 98
ध्रुवस्वामिनी से
44.यह कसक अरे आँसू सह जा ......................... 100
45.यौवन तेरी चंचल छाया ........................... 102
46.अस्ताचल पर युवती संध्या की .................... 104
चंद्रगुप्त से
47.निकल मत बाहर दुर्बल आह .......................106
उठ उठ री लघु-लघु लोल लहर!
करुणा की नव अँगराई-सी,
मलयानिल की परछाईं-सी,
इस सूखे तट पर छिटक छहर!
शीतल कोमल चिर कंपन-सी,
दुर्ललित हठीले बचपन-सी,
तू लौट कहाँ जाती है री-
यह खेल खेल ले ठहर-ठहर!
उठ-उठ गिर-गिर फिर-फिर आती,
नर्तित पद-चिह्न बना जाती,
सिकता की रेखाएँ उभार-
भर जाती अपनी तरल- सिहर!
तू भूल न री, पंकज वन में,
जीवन के इस सूनेपन में,
ओ प्यार-पुलक से भरी दुलक!
आ चूम पुलिन के विरस अधर!
आशा विकल हुई है मेरी,
प्यास बुझी न कभी मन की रे!
दूर हट रहा सरवर शीतल,
हुआ चाहता अब तो ओझल,
झुक जाती हैं पलकें दुर्बल!
ध्वनि सुन न पड़ी नव घन की रे!
ओ बेपीर पीर ! हूँ हारी,
जाने दे, हूँ मैं अधमारी,
सिसक रही घायल दुखियारी-
गाँठ भूल जीवन-धन की रे!
आशा विकल हुई है मेरी,
प्यास बुझी न कभी मन की रे!