Paap Mukti Tatha Anya Kahaniyan
Author | Sailesh Matiyani |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-8177212334 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.216 kg |
Edition | 1st |
Paap Mukti Tatha Anya Kahaniyan
अपनी सगी सास नहीं है। ननद नहीं, देवरानी-जेठानी कोई नहीं है। केले की फली जैसा अकेला किसनिया जनमा था, फिर कोख ही नहीं भरी। अब कहीं जाके किसनिया की गृहस्थी केले की फली जैसी उघड़ती जा रही है। चार बरस तक अकेला किसनिया था और अब तीन जनों का कुटुंब है। तीन-चार महीने बाद एक और बढ़ जाएगा और फिर बरसों तक यही क्रम।...यही सोचते-सोचते आनंदी को अपनी गृहस्थी में सास-ननद, देवरानी-जिठानी का अभाव खलने लगता है। परतिमा ककिया सास है, कभी-कभार कुछ कह-सुन जाती है। उसी के कहे को आँवले के दाने की तरह अपने अंदर लुढ़काती रहती है आनंदी। सपने में भी...और परतिमा सासू कहती हैं कि गर्भिणी को जुड़े हुए नाग नहीं देखने चाहिए। पाप लगता है!—इसी संग्रह सेसुप्रसिद्ध कहानीकार शैलेश मटियानी अपने विपन्न और उपेक्षित पात्रों के प्रति सहानुभूति एवं गहरी करुणा और पक्षधरता रखते हैं। इसीलिए ये कहानियाँ हमें पीडि़तों की तरफदारी के लिए बाध्य करती हैं। कुत्सित-स्वरूपों के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश से भरी पठनीय एवं शिक्षाप्रद कहानियाँ।
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