Neend Ka Rang (Paperback)
Author | Sara Shagufta, Ed. & Tr. Arjumand Ara |
Language | Hindi |
Publisher | Rajkamal |
Pages | 160p |
ISBN | 9.78939E+12 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.1 kg |
Dimensions | 19.8 x 12.9 x 0.69 cm |
Edition | 1st |
Neend Ka Rang (Paperback)
विशेषज्ञों की राय मैंने आसमान से एक तारा टूटते हुए देखा है। बहुत तेज़ी से आसमान के ज़हन में एक जलती हुई लकीर खींचता हुआ... जो तारा मैंने टूटता हुआ देखा उसका भी एक नाम था : सारा शगुफ़्ता। उस तारे के टूटते वक़्त आसमान के ज़हन में जो लम्बी और जलती हुई लकीर खिंच गई थी वह लकीर सारा शगुफ़्ता की नज़्म थी। —अमृता प्रीतम, ‘एक थी सारा’ से जहाँ तक सारा शगुफ़्ता के अनुभवों की बात है, तो मेरे नज़दीक उनमें सब से ऊँचा उसका प्रतिरोध का स्वर है। यह वह औरत है जिसे बचपन में भावनात्मक और शारीरिक स्तर पर प्रताड़ित किया गया, चार मर्दों ने तलाक़ दी, बच्चों ने छोड़ दिया, मुशायरा सर्किल ने बहिष्कृत किया, लेकिन यही वह औरत भी है जिसने इन हालात के सामने चुप रहने से इंकार कर दिया। अगर उसकी काव्य-शैली की बात की जाए, तो वह उर्दू-फ़ॉर्मलिज़्म के बर्तन को उठाकर खिड़की के बाहर फेंक देती है—शगुफ़्ता आज़ाद नज़्म के स्वरूप को तोड़ती-फोड़ती है, तहस-नहस कर डालती है, और नए सिरे से नए साँचे में ढालती है। —असद अलवी, अनुवादक और समालोचक सारा शगुफ़्ता की पहुँच उन हक़ीक़तों तक है जिन तक हमारे नस्री शायरी (गद्य कविता) लिखने वाले शायर कभी नहीं पहुँच सके। वह आला सतह की प्रतिभा की मालिक है। इन्सान के ज़हन का जैसा बोध उसे हासिल हुआ है वह हम में से किसी को हासिल नहीं। —क़मर जमील, मशहूर शायर
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