Nai Madhushala
Author | Sunil Bajpai Saral |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9386300287 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.2 kg |
Edition | 1 |
Nai Madhushala
आदरणीय हरिवंशराय 'बच्चन' द्वारा लिखित 'मधुशाला' से प्रेरित होकर लिखी गई इस 'नई मधुशाला' में कवि सुनील बाजपेयी 'सरल' ने जीवन, दर्शन, संसार, नीति, भक्ति, देशभक्ति, शृंगार इत्यादि विषयों पर मधुछंदों को प्रस्तुत किया है। यह मधुशाला बच्चनजी द्वारा लिखित मधुशाला के छंदों की लय और छंद-विन्यास के अनुसार ही लिखी गई है। हर छंद का अंत मधुशाला शब्द पर ही होता है। प्रत्येक मधुछंद प्रत्यक्ष रूप से मधुशाला का ही वर्णन करता है, किंतु परोक्ष रूप से मधुशाला को माध्यम बनाकर गूढ़ दार्शनिक विचारों को अभिव्यंजित किया गया है। इस पुस्तक को बार-बार पढि़ए। जितनी बार पढ़ेंगे, हर बार और अधिक आनंद की प्राप्ति होगी। मुझे चाह थी बन जाऊँ मैं,एक सही पीनेवाला।मदिरालय में एक बार आ,कुछ सीखा पीना हाला।एक बार की कोशिश लेकिन,पूरा काम नहीं करती; पीने में पांडित्य प्राप्त हो,बार-बार आ मधुशाला॥__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रम प्रस्तावना — 74. 42 बहुत कठिन यह बात समझना — 698. 6 लोगों की निंदा से डरकर — 108भूमिका — 17अध्याय-5 : संसार8. 7 मदिरा को अमृत जो समझे — 108अध्याय-1 : संबंध5. 1 हर युग में यह मदिरालय था — 708. 8 सोच न निंदा कौन करेगा — 1091. 1 माता-पिता प्रथम साकी हैं — 315. 2 विविध भाँति के पीनेवाले — 718. 9 पहला पीकर मैंने सोचा — 1091. 2 माता-पिता सदा पीते हैं — 325. 3 नशा यहाँ चलकर आने में — 718. 10 कोई कहता मदिरा फीकी — 1101. 3 इस दुनिया में सबसे मादक — 325. 4 धरती के इस मदिरालय में — 728. 11 वह मदिरालय ही चलता है — 1101. 4 मदिरालय यह वृद्ध हो चुका — 335. 5 वक्त सही तो साकी भरके — 728. 12 मिलता इस मदिरालय में भी — 1111. 5 बेटी जब साकी बनती है — 335. 6 यह आवश्यक नहीं कि हरदम — 738. 13 वह मदिरालय ही अच्छा है — 1111. 6 बेटी बार-बार आती है — 345. 7 युवक झूमते रहते सारे — 738. 14 अंदर जाओ और देख लो — 1121. 7 मित्रों की टोली में मिलती — 345. 8 लोग कहें यदि बदलो मदिरा — 748. 15 जो मदिरालय हमने पाया — 1121. 8 कभी अकेला जब पीता हूँ — 355. 9 मदिरालय में पट्ट लगा है — 748. 16 तब बदलेगा मदिरालय जब — 1131. 9 विद्यालय में शिक्षक साकी — 355. 10 कमियाँ यहाँ कई दिखती हैं — 758. 17 दिया सुझाव किसी ने अनुपम — 1131. 10 आज यहाँ शिकवा क्यों करता — 365. 11 निर्विकार कड़ुए घूँटों को — 758. 18 यह मदिरा तो सब पीते हैं — 114अध्याय-2 : शृंगार5. 12 बने यहाँ वैरागी कितने — 768. 19 मदिरालय की क्षमता इतनी — 1142. 1 रूपसि तेरा रूप मदिर है — 375. 13 भटक रहा था यहाँ अकेला — 768. 20 मदिरालय में मत सोचो तुम — 1152. 2 तेरी तिरछी चितवन मदिरा — 385. 14 मधु-विक्रेता बेच रहा है — 778. 21 वह मदिरालय में आया था — 1152. 3 तुम मेरी सुंदर साकी हो — 385. 15 पिये पदार्थवाद की मदिरा — 778. 22 युग बीते हैं जब से रूठी — 1162. 4 आओ बैठो आज पिऊँगा — 395. 16 श्मशान से वापस आया — 788. 23 तू कहता है बदल गई है — 1162. 5 सुबह मृदु मुसकान की मदिरा — 39अध्याय-6 : दर्शन8. 24 हम चाहें व्यवहार बदल ले — 1172. 6 जबतक मुझको तुम न — मिली थीं — 406. 1 मदिरालय को देखा तो यह — 798. 25 नखरे करता था वह साकी — 1172. 7 तुम न मिलो तो खाली रहता — 406. 2 मदिरालय है तो अवश्य है — 808. 26 अगर माँग लोगे साकी से — 1182. 8 साथ नहीं तुम तो यादें ही — 416. 3 सब कहते हैं अद्भुत है वह — 808. 27 दुनिया की नजरों में वह है — 118अध्याय-3 : भारत6. 4 भरी ब्रह्मांड के प्याले में — 818. 28 प्याला टूटे तो यह समझो — 1193. 1 कहीं योग की राम-कृष्ण की — 426. 5 पीते-पीते जीवन बीता — 818. 29 मदिरालय का समय आज है — 1193. 2 पाप-विमुक्त सभी जन झूमें — 436. 6 कठिन डगर पे चलते-चलते — 828. 30 मदिरालय में रोज उपद्रव — 1203. 3 सागर की लहरें उठती हैं — 436. 7 कोई मदिरालय में पीकर — 828. 31 मदिरालय में अगर उपद्रव — 1203. 4 सैनिक सीमा पर लड़ते हैं — 446. 8 अलग-अलग हैं बोतल सारी — 838. 32 डर लगता है कहीं हाथ से — 1213. 5 कर्म करो पर मत सोचो तुम — 446. 9 भेद किए बिन सबका स्वागत — 838. 33 हर पीनेवाला विशेष है — 1213. 6 होता नित्य देह का देही — 456. 10 प्यासा दर-दर भटक रहा है — 848. 34 किसी-कि��ी ���ी प्यास न बुझती — 1223. 7 विप्र गाय हाथी कुत्ता हो — 456. 11 मिट्टी से बोतल बनती है — 848. 35 नया नियम है सब पाएँगे — 1223. 8 अलग-अलग भाषाएँ बोलें — 46अध्याय-7 : लक्ष्य8. 36 व्यर्थ हुआ यह जीवन मेरा — 1233. 9 मदिरालय में फर्श हरा है — 467. 1 सबने कहा चलो मदिरालय — 858. 37 किसी और को नहीं पिलाई — 1233. 10 मदिरालय यह मातृतुल्य है — 477. 2 यह मत सोच कि राह कठिन है — 868. 38 किसी और की प्यास बुझाए — 124अध्याय-4 : जीवन7. 3 मदिरालय की तरफ चल पड़ा — 868. 39 एक नशा वह होता है जब — 1244. 1 इस दुनिया में किसे पता है — 487. 4 एकाकी मदिरालय ढूँढ़ूँ — 878. 40 नहीं बुझेगी प्यास कभी भी — 1254. 2 मन करता है पीते जाएँ — 497. 5 मधुपथ के कष्टों को सोचा — 878. 41 कोई प्यासा दिखे यहाँ तो — 1254. 3 मदिरालय में जो भी आया — 497. 6 नीरस थी उसकी दुनिया वह — 888. 42 कितनी देर हो गई पीते — 1264. 4 मदिरालय से जाता है जब — 507. 7 आज गाँव में शोर बहुत है — 888. 43 जितनी क्षमता हो पीने की — 1264. 5 एक हाथ खाली होता है — 507. 8 बहुत दूर से आया चलकर — 898. 44 पीकर भी जो होश न खोए — 1274. 6 नहीं महत्त्वपूर्ण यह होता — 517. 9 क्या पाने को घर से चलते — 898. 45 पीना उसको आता है जो — 1274. 7 कभी हाथ से बोतल छूटी — 517. 10 जितना रूठे उतनी प्यारी — 908. 46 मुझे चाह थी बन जाऊँ मैं — 1284. 8 कुछ कहते हैं मदिरा फीकी — 527. 11 जीवन सुंदर तब लगता है — 908. 47 सोचा मदिरालय में जाकर — 1284. 9 कमियाँ हैं इस मदिरालय में — 527. 12 पहले सभी हँसेंगे तुझपे — 918. 48 यहाँ बैठकर तुम कहते हो — 1294. 10 कह न वहाँ मदिरा अच्छी है — 537. 13 मदिरालय में प्रांगण सुंदर — 918. 49 छोटा मदिरालय था पहले — 1294. 11 कितने प्यासे हैं इस जग में — 537. 14 स्वाद बहुत कड़वा लगता है — 928. 50 उस घटना के कारण तू ने — 1304. 12 सरल नहीं मदिरालय जाना — 547. 15 पहली कोशिश थी यह तेरी — 928. 51 बंद हुआ उसका मदिरालय — 1304. 13 माना मुश्किल समय आज है — 547. 16 पीने से यदि डर लगता है — 938. 52 आज रूठकर गया यहाँ से — 1314. 14 दर्द बहुत है इस सीने में — 557. 17 जाना नहीं नशा क्या होता — 938. 53 बोतल में भर दें तो बोतल — 1314. 15 समय समाप्त हो चुका मेरा — 557. 18 मैंने सोचा आज व्यस्त हूँ — 948. 54 मुसकाते हुए यहाँ आए — 1324. 16 एक समय मय बहुत — प्यार से — 567. 19 आज नया आदेश आ गया — 948. 55 प्याले कई पी चुके फिर भी — 1324. 17 वर्षों से पी रहा यहाँ पर — 567. 20 आज नहीं यदि मदिरा पाई — 958. 56 शहंशाह मत समझ स्वयं को — 1334. 18 मदिरालय में कब से बैठा — 577. 21 तू ने किया प्रयत्न बहुत सा — 958. 57 समय असीमित नहीं मिलेगा — 1334. 19 जीवन भर से यह इच्छा थी — 577. 22 किया प्रयास निरंतर तुमने — 96अध्याय-9 : भक्ति4. 20 मदिरालय में आया था वह — 587. 23 कितना जीवन बीत गया है — 969. 1 मक्खन-मदिरा गोपी देती — 1344. 21 क्यों उदास हो मित्र आज तुम 587. 24 सीमित समय मिला है तुमको — 979. 2 यमुना-तट बाँसुरी बजाए — 1354. 22 पीकर कुछ भी सीख न पाया — 597. 25 मदिरालय यह बंद हो चुका — 979. 3 कितना ���ोमल कितना नाजुक — 1354. 23 कोई कर्म करे आशा कर — 597. 26 वहाँ बैठ ही मदिरा पीना — 989. 4 युगों-युगों से साकी बिछड़ा — 1364. 24 तुम्हें शिकायत है तुमको क्यों — 607. 27 ढूँढ़ो यहाँ कहाँ मिलता है — 989. 5 मदमस्त नाचते भक्त सभी, — 1364. 25 सबका भरा हुआ लगता है — 607. 28 वह कहता है उसे चाहिए — 999. 6 कृपा तुम्हारी है प्रभु मुझ पर — 1374. 26 मदिरा कितनी भी मिल जाए — 617. 29 केवल जो सपने ही देखे — 999. 7 कृष्ण-कृपा हो तो गूँगा भी — 1374. 27 पहले चाहा मैंने केवल — 617. 30 मदिरालय तो बंद पड़ा था — 100अध्याय-10 : विविध4. 28 छोटा सा मदिरालय मेरा — 627. 31 कोई बात नहीं यदि अबतक — 10010. 1 मित्रों की टोली आई है — 1384. 29 कोई जग में झूम रहा है — 627. 32 वही सही उपयोग समय का — 10110. 2 खेत वृक्ष वन-उपवन झूमें — 1394. 30 है अफसोस नहीं अब मिलती — 637. 33 ऐसी कोई जगह नहीं है — 10110. 3 सूर्य एक सुंदर साकी है — 1394. 31 दूर हकीकत से मदिरालय — 637. 34 लगता पीना बहुत कठिन है — 10210. 4 पीने की मात्रा नापें तो — 1404. 32 किसी व्यक्ति से मिलकर जाना — 647. 35 तुम कहते हो मैं क्यों हरदम — 10210. 5 ज्ञान-विज्ञान गप्प-लतीफे — 1404. 33 एक नए मदिरालय पहुँचा — 647. 36 जाना कितने ही लोगों को — 10310. 6 साकी क्रिकेट खेलने वाले — 1414. 34 सुनते थे इस मदिरालय में — 657. 37 सब कहते थे योग्य नहीं हूँ — 10310. 7 जो व्यापार करे इस जग में — 1414. 35 सोने का हो या मिट्टी का — 657. 38 मदिरालय में पहुँच गया वह — 10410. 8 सब व्यापारी सदा चाहते — 1424. 36 थोड़ी मात्रा में लेने से — 66अध्याय-8 : नीति10. 9 कोई उसको पढ़े इसलिए — 1424. 37 पंचतत्त्व के इस प्याले से — 668. 1 उचित मिलेगा अवसर जिस दिन — 105परिशिष्ट4. 38 प्याला स्वच्छ यहाँ मिलता है — 678. 2 सार्थक केवल वह ही पल है — 106आत्मा है यह एक प्रेयसी — 1434. 39 पीना मदिरा जरा सँभल कर — 678. 3 गर्व अगर हो मदिरालय पर — 106विरह अग्नि में सभी जल रहे — 1434. 40 मदिरालय में जाकर बैठा — 688. 4 तो क्या हुआ न अगर यहाँ है — 107मन को वंशी बजा लुभाए — 1444. 41 यहाँ अकेला ही आया मैं — 688. 5 यूँ तो आते लोग बहुत से — 107इस दुनिया का कोई बंधन — 144
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