Media : Mahila, Jati aur Jugad
Item Weight | 200 Grams |
ISBN | 978-9386300980 |
Author | Sanjay Kumar |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
Book Type | Hardbound |
Media : Mahila, Jati aur Jugad
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया आरोपों के घेरे में है। स्तंभ की जड़ में जाति, महिला व जुगाड़नुमा दीमक के लगने से यह भ्रष्टाचार के चंगुल में पूरी तरह से फँस चुका है। पत्रकारिता, मिशन से व्यवसाय और फिर सत्ता की गोद में बैठ गई है। सिद्धांतों को ताक पर रख जनता की भावनाओं से खुलेआम खेलने का काम जारी है।मीडिया पर जाति-पे्रम के साथ-साथ महिला-पे्रमी होने का आरोप लगता रहा है। मीडिया के अंदर महिलाओं के साथ होनेवाला व्यवहार चौंकाता है। भारतीय मीडिया कितना जातिवादी है, इसका खुलासा मीडिया के राष्ट्रीय सर्वे से साफ हो चुका है। 90 प्रतिशत से भी ज्यादा द्विजों के मीडिया पर काबिज होने के सर्वे ने भूचाल ला दिया था। भारतीय जीवन में 'जुगाड़' एक ऐसा शब्द है, जिससे हर कोई वाकिफ है। इस शब्द से मीडिया भी अछूता नहीं है। इसका प्रभाव यहाँ भी देखा जाता है। जुगाड़, यानी जान-पहचान या संबंध जोड़कर मीडिया में घुसपैठ। इससे योग्यता व अयोग्यता का सवाल खड़ा होता है। जुगाड़ के राजपथ पर योग्यता और अयोग्यता के पथ्य पीछे छूट जाते हैं।__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमअपनी बात — 51. आईने में अपना चेहरा भी देखे मीडिया — 112. और मैंने पत्रकारिता छोड़ दी — 203. यौन उत्पीड़न : या हैं 'विशाखा दिशा-निर्देश' — 264. पत्रकारिता के शीर्ष पद पर महिलाएँ — 345. मीडिया में जाति का खेल — 386. दलित मीडिया एडवोकेसी — 507. मीडिया में दलित आंदोलन के लिए जगह नहीं! — 558. कहाँ से आएँगे अच्छे पत्रकार — 629. ताकि नई पौध को मिले मौका — 7010. लागा मीडिया में दाग — 7611. मीडिया स्वामी, मीडिया 'मुगल' में तदील — 8412. मीडिया नियमन या स्व-नियमन? — 8813. सोशल नेटवर्किंग पर अभिव्यति की आजादी के मायने — 9414. रियलिटी शो के नाम पर — 9915. निजी जिंदगी में मीडिया का अतिवाद — 10116. उदीयमान भारत के गाँवों से अछूता मीडिया — 10517. कृषि समस्याएँ और मीडिया की भूमिका — 11118. गुम होती जनपक्षीय पत्रकारिता — 11519. सामाजिक न्याय और मीडिया — 11820. माँझी : मीडिया व राजनीति — 12321. निजी से बुरा नहीं सरकारी मीडिया — 12822. संवाद सेतु सरकारी मीडिया — 13223. मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है आतंकवाद — 13724. मानवाधिकार संरक्षण में मीडिया — 140
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