विषय-सूची
1. तत्त्वों का वर्णन....................................19
2. इंद्रियों का वर्णन....................................20
3. ध्यान का वर्णन.....................................25
4. ईश्वर के गुणों का वर्णन...........................26
5. रूह (आत्मा) का वर्णन............................27
6. वायु का वर्णन.......................................28
7. चारों लोकों का वर्णन...............................29
8. आवाज का वर्णन....................................31
9. नूर (प्रकाश) का वर्णन.............................32
10. ईश्वर के दर्शन का वर्णन.........................35
11. ईश्वर के नामों का वर्णन........................39
12. नुबुव्वत और विलायत का वर्णन................40
13. ब्रह्माण्ड का वर्णन...............................43
14. दिशाओं का वर्णन.................................44
15. आकाशों का वर्णन..................................44
16. पृथ्वी का वर्णन....................................45
17. पृथ्वी के विभाजन का वर्णन.....................45
18. बर्जख़ का वर्णन....................................47
19. महाप्रलय का वर्णन...............................48
20. मुक्ति का वर्णन....................................49
21. रात और दिन का वर्णन...........................57
22. काल चक्र के समाप्त होने का वर्णन........59
शुरू 'अल्लाह' के नाम से
जो अत्यंत कृपालु और बहुत दयावान है।
शेर
उस ईश्वर के नाम से जिस का कोई नाम नहीं है, मगर जिस नाम से भी उसे पुकारा
जाए वो उसे शोभा देता है।
असीम प्रशंसा उस एक ईश्वर के लिए जिस ने कुल और इस्लाम की परस्पर मिली हुई
दो लटें अपने सुंदर, अनूठे और बे मिसाल चेहरे पर डाल रखी हैं लेकिन उन में से किसी
एक को उस ने अपने चमकते हुए चेहरे का पर्दा नहीं बनने दिया।
शेर
कुफ्र और इस्लाम, दोनों उसकी ओर दौड़ लगा रहे हैं और दोनों ही कह रहे हैं कि वह एक हैं
उसके साम्राज्य में किसी का कोई हिस्सा नहीं है।
वह सब में प्रकट है, और सारी चीजें उस से प्रकट हैं। वह आदि और अंत है। उसके सिवा कुछ भी
मौजूद नहीं ।
रुबाई
पड़ोसी, साथी और हम सफर सब वही है, भिखारियों की गुदड़ी और राजसी लिबासों में भी वही है
विरह की महफ़िल और मिलन स्थल में भी वही है, ईश्वर की सौगंध ! वही सब कुछ है, सब
कुछ वही है।
हजरत मोहम्मद, उन पर अल्लाह की कृपा और दया हो, कि विश्व-रचना के कारण हैं
और उन के महान वंशजों और उन के साथियों को सलाम पहुँचे।
कष्ट - क्लेश-मुक्त फकीर दारा शिकोह कहता है कि सच्चाइयों की वास्तविकता और
सूफियों के धर्म रहस्य का पता लगाने के बाद इस महान उपहार ने मुझे प्रेरित किया कि
मैं भारतीय एकेश्वरवादियों के सिद्धांतों को जानने का प्रयास करूँ, और तब मैंने इस धर्म के
आचार्यों और पूर्ण तत्त्वज्ञानियों (जो धार्मिक बोध, प्रतिमान और अंतर्ज्ञान में पूर्णता को प्राप्त थे)
के साथ बारम्बार संपर्क किया और उनसे ज्ञान हासिल किया। मैं ने ईश्वर को पहचानने और
सत्य-मार्ग की खोज में शाब्दिक भेद के अतिरिक्त और कोई भेद नहीं पाया। इसलिए मैंने दोनों
पक्षों के विचारों में अनुरूपता पैदा की और कुछ बातें जिन्हें साधकों के लिए जानना आवश्यक है
को संग्रहित कर के एक पुस्तिका तैयार की। ये पुस्तिका चूँकि सत्य को जानने के इच्छुक दोनों पक्षों के धार्मिक सत्य और ज्ञान का संग्रह है इसलिए मैंने इसका नाम —‘मज्म-उल- बहरैन' या 'दो समुद्रों का संगम' रखा।
महान रहस्यवादियों ने कहा है, “तसव्वुफ़ इंसाफ़ और जाहिरी शरीअत छोड़ देने का नाम है
इसलिए जो व्यक्ति न्याय सम्मत और विवेकपूर्ण है, वह शीघ्र समझ लेगा कि इन विचारों का पता
लगाने में मैं ने किस गंभीरता का परिचय दिया है। निश्चित रूप से बौद्धिक जन इस पुस्तिका से
आनंदानुभूति प्राप्त करेंगे, जबकि दोनों