Kardaliban Ek Anubhuti
Author | Kshitij Patukale |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9382901457 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.145 kg |
Edition | 1st |
Kardaliban Ek Anubhuti
'कर्दलीबन : एक अनुभूति' हजारों लोगों की आस्था के प्रतीक श्रीपाद श्रीवल्लभ, नृसिंह सरस्वती और स्वामी समर्थ उनके चरित्र से जुड़ी श्रद्धाभावना तथा आज के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सामने रखकर किया गया विशेष अध्ययन है। कर्दलीबन श्रीमद् नृसिंह सरस्वती स्वामी तथा स्वामी समर्थ, इन दो दत्त अवतारों को जोड़नेवाली एक कड़ी है।इस ग्रंथ की विशेषता है कि श्री क्षितिजजी ने न केवल ग्रंथों का अध्ययन और शोधकार्य किया अपितु प्रत्यक्ष कर्दलीबन में जाकर वहाँ निवास किया। उस वातावरण को निकटता से देखा, महसूस किया। कर्दलीबन के आध्यात्मिक और प्राकृतिक परिसर का अनुभव लिया और फिर उसे ग्रंथित किया। इसका हर एक प्रकरण कर्दलीबन से संबंधित किसी विशेष विषय की जानकारी प्रदान करता है। जो विभिन्न ग्रंथों के आधार पर प्रमाणित रूप से संकलित की गई है।यह एक ऐसा उपयोगी ग्रंथ है, जो दत्त संप्रदाय में आस्था रखनेवालों के साथ-साथ पर्यटन, शोध एवं इतिहास आदि में रुचि रखनेवालों के लिए भी उपयुक्त सिद्ध हो सकता है। यह समग्र जानकारी कर्दलीबन के बारे में जिज्ञासा रखनेवाले पाठकों के लिए ज्ञानवर्धक है और शोधकर्ताओं के लिए लाभदायक भी।____________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमणिकाप्रस्तावना — Pgs. 15लेखक का मनोगत... 191. कर्दलीबन दत्तात्रेय के तीन अवतार — Pgs. 292. इतिहास — Pgs. 353. भौगोलिक स्थान तथा परिसर — Pgs. 454. कर्दलीबन परिक्रमा का इतिहास — Pgs. 635. कर्दलीबन परिक्रमा की पद्धति — Pgs. 676. कर्दलीबन महिमा और महत्त्व — Pgs. 757. कर्दलीबनः वास्तव, भ्रम एवं श्रद्धा — Pgs. 828. कर्दलीबनः अन्नदान, अतिथि सेवा और दत्त संप्रदाय — Pgs. 889. श्री दत्तगुरु का कलियुग में कार्य और महत्त्व — Pgs. 96परिशिष्ट 1 : दत्तप्रभु का दिनक्रम — Pgs. 110परिशिष्ट 2 : भारत देश में और नर्मदा परिक्रमा में प्रमुख दत्त क्षेत्र — Pgs. 113परिशिष्ट 3 : दत्तात्रेय के सोलह अवतार — Pgs. 128परिशिष्ट 4 : महाअवतार बाबाजी, दत्त संप्रदाय और शिरडी के सांईबाबा — Pgs. 134परिशिष्ट 5 : दत्तात्रेय का अस्तित्व और आधुनिक विज्ञान की मर्यादाएँ — Pgs. 139परिशिष्ट 6 : सृष्टि का निर्माण एवं रचना — Pgs. 142परिशिष्ट 7 : कर्दलीबन सेवा संघ तथा उसका कार्य — Pgs. 147परिशिष्ट 8 : दुर्लभ दत्त मंत्र, यंत्र एवं स्तोत्र — Pgs. 154
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