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About Book

'दुनिया मेरे आगे' कवि-कथाकार एवं पत्रकार प्रियदर्शन के एक खास तरह के लेखों का संकलन है जिन्हें स्मृति-आलेख कहा जा सकता है। इस किताब में जिन्हें याद किया गया है वे साहित्य और पत्रकारिता के बड़े चमकदार नाम हैं-निर्मल वर्मा, नामवर सिंह, राजेंद्र यादव, केदारनाथ सिंह, पंकज सिंह, महाश्वेता देवी, कृष्णा सोबती, रमणिका गुप्ता, अर्चना वर्मा, विष्णु खरे, प्रभाष जोशी, राजकिशोर, आलोक तोमर, अरुण कुमार पानीबाबा। अलबत्ता पर्यावरणविद अनुपम मिश्र, फिल्मकार के. विक्रम सिंह और ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह भी मौजूद हैं। अमूमन श्रद्धांजलि के तौर पर लिखे जाने वाले लेखों में अतिरिक्त महिमामंडन और उच्छल भावुकता का उद्रेक रहता है। लेकिन ये स्मृति-आलेख इस दोष से सर्वथा मुक्त हैं। इन्हें संस्मरण की तरह भी पढ़ा जा सकता है, कहानी की तरह भी, और व्यक्तित्वकेंद्रित लेख की तरह भी। प्रसंग इस तरह चुने और पिरोये गये हैं कि रोचकता बराबर बनी रहती है, और प्रसंग पाठक की स्मृति में रच-बस जाते हैं। पर ये आलेख जितने संस्मरणपरक हैं उतने ही विचारपरक भी, जिनके बारे में लिखे गये हैं उनकी स्मृति को ताजा करने के साथ ही उनकी शख़्सियत और उनके अवदान की गहरी समझ भी साझा करते हैं। प्रवाह और पठनीयता के गुण से संपन्न आवेगपूर्ण गद्य के लिए भी यह पुस्तक पढ़ी जानी चाहिए।

About Author

प्रियदर्शन

अँग्रेज़ी में एम.ए. (प्रथम श्रेणी), बीजे (प्रथम श्रेणी)।

प्रकाशित पुस्तकें : 'ज़िन्दगी लाइव’ (उपन्यास); 'बारिश, धुआँ और दोस्त’, 'उसके हिस्से का जादू’, 'हत्यारा तथा अन्य कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); 'यह जो काया की माया है’, 'नष्ट कुछ भी नहीं होता’ (कविता-संग्रह); 'ग्लोबल समय में गद्य’, 'ग्लोबल समय में कविता’ (आलोचना); 'ख़बर-बेख़बर’ (पत्रकारिता विषयक); 'नये दौर का नया सिनेमा’ (फिल्म); 'इतिहास गढ़ता समय’ (विचार)। अनूदित किताबें—उपन्यास 'ज़िन्दगी लाइवका अँग्रेज़ी में अनुवाद। कविता-संग्रह 'नष्ट कुछ भी नहीं होताका मराठी में अनुवाद।

अनुवाद : सलमान रुश्ïदी का 'मिडनाइट्ïस चिल्ड्रेन’ (आधी रात की संतानें), अरुंधती रॉय का 'द ग्रेटर कॉमन गुड’ (बहुजन हिताय), रॉबर्ट पेन का उपन्यास 'टॉर्चडे एंड डैम्ड’ (क़त्लगाह), ग्रीन टीचर (हरित शिक्षक), के. बिक्रम सिंह की किताब 'कुछ $गमे दौरां’, पीटर स्कॉट की जीवनी, अचला बंसल का थैंक्स एनीवे (बहरहाल धन्यवाद—मृदुला गर्ग और स्मिता सिन्हा के साथ)।

संपादन : पत्रकारिता में अनुवाद (अरुण कमल और जितेंद्र श्रीवास्तव के साथ), बड़े-बुजुर्ग (कहानी-संग्रह)।

सम्मान : स्पंदन सम्मान 2008; टीवी पत्रकारिता के लिए हिन्दी अकादमी, दिल्ïली का सम्मान 2015; कुछ पुरस्कारों को लेने से इनकार।

संपर्क : ई-4, जनसत्ता सोसाइटी, सेक्टर 9, वसुंधरा, गाजि़याबाद, 201012

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