Bharat Ko Samajhane Ki Sharten
Author | Suryakant Bali |
Language | HINDI |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9351868507 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.271 kg |
Edition | 1 |
Bharat Ko Samajhane Ki Sharten
तो? पीला यानी भगवा। रक्ताभ-पीत यानी भगवा। रक्त यानी भगवा। पीताभ-रक्त यानी भगवा। केसरिया यानी भगवा। फाग, बसंती रंग, होली का रंग, पकी-फसल का रंग, यानी भगवा। सूर्योदय का रंग भगवा। यज्ञ की अग्नि का रंग भगवा। कश्मीर यानी केसर का रंग भगवा। यह भगवा रंग अपने स्वभाव से जुड़ा हुआ है। पिछले दस हजार साल से जुड़ा हुआ है। हमने तो इसकी सिर्फ राजनीतिक व्याख्या भर की है। धर्मनिरपेक्षता की मार खाए और पिछले कुछ दशकों में उस मार से कराहते लोगों को 'भगवा' शब्द से परेशानी होती हो तो हुआ करे। धर्मनिरपेक्ष कोड़ों की मार से कराहते बेबस बुद्धिजीवियों की इस काँपती-कराहती हुई आवाज को क्या सुनना हुआ? हमारी ये सभी पंक्तियाँ, ये सभी पृष्ठ ऐसे कराहते लोगों को समझाने की कल्याण भावना से ही लिखे गए हैं। दशकों से कराह रहे बुद्धिजीवी सदियों से उपलब्ध इस औषध को न लेना चाहें तो कोई क्या कर सकता है। पर इसकी वजह से देश नहीं रुक जाएगा। दस हजार साल से देश अपने हाथ में भगवा पताका उठाए ही चल रहा है। भविष्य मे�� भी देश यही करता रहेगा, उसमें किसी को कोई शक है क्या? गंगा को गंगासागर से मिलने से कोई रोक पाया है?______________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमपूर्वकथन — Pgs. 7पस्पशा1. 'भगवा' ही है भारत की पहचान — Pgs. 152. या होता है सांस्कृतिक राष्ट्रवाद — Pgs. 26भारत तुझे नमस्कार3. एक महाशति की वर्षगाँठ — Pgs. 394. गणतंत्र के गणपति, जागो — Pgs. 435. भारत को पूजने का पर्व — Pgs. 486. भारत के महाशति होने का अर्थ — Pgs. 537. खुद को तलाशती एक बेचैन महाशति — Pgs. 578. मखौल मूल्य नहीं हो सकते — Pgs. 619. सुंदर है सेस का चेहरा, इसे बिगाड़िए मत — Pgs. 64पंचपरमेश्वर : शिव-राम-कृष्ण-बुद्ध-महावीर10. भगवान् शिव : आसान नहीं जीवन में शिव पा लेना — Pgs. 6911. भगवान् राम : नर से नारायण की यात्रा — Pgs. 7212. भगवान् कृष्ण : जिस कृष्ण को देश भुला बैठा है — Pgs. 7513. भगवान् बुद्ध : आचरण से ही है दु:ख-मुक्ति — Pgs. 7814. भगवान् महावीर : तपस्या में छिपा है जीवन का मर्म — Pgs. 83तीन वैचारिक आंदोलन15. आचार्य याज्ञवल्य : अध्यात्म आंदोलन के प्रवर्तक — Pgs. 9116. जगद्गुरु शंकराचार्य : अद्वैत आंदोलन का दूसरा नाम — Pgs. 9817. महाप्रभु वल्लभाचार्य : भति-आंदोलन का शीर्ष व्यतित्व — Pgs. 107मेरे देश की राष्ट्रीयता18. हम विभाजन को भूल यों गए हैं? — Pgs. 11719. राष्ट्रीयता पर बहस अब जरूरी हो गई है — Pgs. 12320. राष्ट्रीयता : मिट्टी से उपजा यकीन — Pgs. 12721. राष्ट्रीयता : विरासत की ईमानदार पहचान — Pgs. 13522. 1857 से सिखाया जा रहा एक सबक — Pgs. 140भारत राष्ट्र राज्य : राज्य बनाम समाज23. व्यवस्था को न पचा पाने का संकट — Pgs. 14724. इस राष्ट्र को राज्य बनने से एलर्जी यों है? — Pgs. 15225. इतिहास से कुछ न सीखने की जिद — Pgs. 15726. राजनीतिक एकता की जमीन — Pgs. 16127. महाविलय के दौर में एक गणराज्य — Pgs. 16528. नया राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया जाए — Pgs. 16929. राष्ट्रपति तंत्र ही भारत को बचाएगा — Pgs. 173उपराष्ट्रीयता विमर्श30. उपराष्ट्रीयता बोध अलगाव का पर्यायवाची नहीं — Pgs. 18131. उप-राष्ट्रीयताओं से परहेज कैसा — Pgs. 18732. उप-राष्ट्रीयताओं को समझने के लिए — Pgs. 19033. भारत के इस नशे को भी देखिए — Pgs. 193हिन्दुत्व : समेकित विमर्श34. या रामकृष्ण मिशन हिंदू नहीं है? — Pgs. 19935. बुंदेलखंड का पौराणिक चेहरा महर्षि वेदव्यास — Pgs. 20736. राम हैं तो रामसेतु भी है — Pgs. 21037. लंदन के ईसाई, भारत के ईसाई — Pgs. 21338. वे जो रामसेतु बचाने निकले हैं — Pgs. 21639. करुणानिधि का राम-विरोध — Pgs. 21940. हिंदू सरोकार की परिभाषा — Pgs. 22241. भारत में सिर्फ गटर ढूँढ़नेवाले ये — Pgs. 22542. याद करें नैमिषारण्य की वह संत सभा — Pgs. 228हिन्दुत्व : दलित विमर्श43. पिछड़े तो सिर्फ दलित हैं-1 — Pgs. 23344. पिछड़े तो सिर्फ दलित हैं-2 — Pgs. 23845. दलितों की हत्याओं पर हड़ताल यों नहीं होती? — Pgs. 24146. अपने ही भाइयों को दलित बनानेवाला हिंदुत्व — Pgs. 24747. हिंदुत्व : एक जागरण से बेखबर दो पुनर्जागरण — Pgs. 25148. हिंदुत्व : दलित, मध्यम, सवर्ण जातियों के समीकरण — Pgs. 25649. हिंदुत्व : एक विराट् भति आंदोलन की प्रतीक्षा — Pgs. 26150. अंबेडकर दर्शन की खुशनुमा सफलता — Pgs. 26651. बसपा, कालाराम और दलित गोविंदम् — Pgs. 26952. धर्म, जाति ��र ���िचारधारा — Pgs. 272हिन्दुत्व : अयोध्या विमर्श53. अयोध्या : समझौते से कौन डर रहा है? — Pgs. 27754. अयोध्या : ऐतिहासिक समझौते की पहल मुसलमान करें — Pgs. 28355. रामकथा के ये नवसाक्षर छुटभैये — Pgs. 28856. अयोध्या को चुनावों में उतारिए — Pgs. 291सांप्रदायिकता-धर्मनिरपेक्षता57. सांप्रदायिकता : संसद् में एक बहस का कर्मकांड — Pgs. 29758. श्रीनगर के दंगों से उभरे चंद सवाल — Pgs. 30259. भारत का मुसलमान कुंठा-मुत हो — Pgs. 30760. उर्दू भाषा को संप्रदाय से यों जोड़ें — Pgs. 31261. धर्मसापेक्षता हमारे पर्यावरण में है — Pgs. 31762. उर्दू एक भाषा है, राजनीति का कोई मोहरा नहीं — Pgs. 323भारत का राजधर्म63. राष्ट्रपति भवन में कैद पड़ी एक कुरसी — Pgs. 33164. एक औपचारिक कुरसी की ताकत का राज — Pgs. 33765. भारतीय राजधर्म का प्रतीक — Pgs. 34266. राष्ट्रपति पद की परिभाषा या हो — Pgs. 346फलश्रुति67. विचारधारा के लिए, राजनीतिक संघर्ष — Pgs. 351
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