Beech Samar Mein
Author | Sushil Kumar Modi |
Language | Hindi |
Publisher | Prabhat Prakashan Pvt Ltd |
ISBN | 978-9351865209 |
Book Type | Hardbound |
Item Weight | 0.146 kg |
Edition | 1 |
Beech Samar Mein
बिहार की राजनीति में 1974 के छात्र आंदोलन से उभरते नेताओं की जो पौध नब्बे का दशक शुरू होने के साथ पहली कतार में अपनी जगह सुरक्षित करने लगी थी, उनमें सुशील कुमार मोदी प्रमुख रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में, सार्वजनिक जीवन की शुरुआत करने वाले सुशीलजी ने जेपी के नेतृत्व वाले छात्र आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपातकाल में इन्हें 19 महीने बिहार की कई जेलों में गुजारने पड़े। उस दौर के अनुभवों को उन्होंने 'जेल डायरी' के रूप में लिपिबद्ध किया है।सन् 1990 में पहली बार बिहार विधान सभा के सदस्य निर्वाचित होकर उन्होंने अपना संसदीय जीवन आरंभ किया। फिर कभी लोकसभा और तो कभी विधान परिषद् के सदस्य भी चुने जाते रहे। वे आठ साल तक विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। 'पशुपालन' और 'अलकतरा' जैसे बड़े घोटाले उजागर किए। 2005 में एक बड़े सत्ता-परिवर्तन के साथ बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी। इसमें सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्री का भी दायित्व सौंपा गया। वे देश भर के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के अध्यक्ष बनाए गए।सुशील मोदी ने आरक्षण आंदोलन, उर्दू की राजनीति, आंबेडकर के अंतर्द्वंद्व, कश्मीर और असम में सुलगते अलगाववाद, सिक्ख गुरुओं के म��ान् बलिदान तथा आपातकाल में राजनीतिक बंदियों की प्रताड़ना जैसे कई संवेदनशील मुद्दों पर कलम चलाई।इस पुस्तक में इनके आलेख, संस्मरण, जेल डायरी और विदेश यात्राओं के रोचक वृत्तांत भी संकलित हैं। यह बौद्धिक संपदा कई पीढि़यों का मार्गदर्शन करती रहेगी।__________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________________अनुक्रमयाद आए आपातकाल के वे काले दिन — Pgs. 7राजनीति में आएँ सुशील मोदी — Pgs. 9तुम विवाह के माध्यम से आधुनिक भारत की नींव रख रहे हो — Pgs. 11इस्पात में दौड़ती बिजली — Pgs. 13आपातकाल1. हाजत में बीते यातना भरे 108 घंटे, निकट से दिखा पुलिस का क्रूर चेहरा — Pgs. 212. इंदिरा की जेल में यातनाएँ, बहस और स्वाध्याय — Pgs. 293. बहनों को पत्र — Pgs. 494. जब जेल में फैली जेपी के निधन की अफवाह... 545. पेरोल पर रिहाई, पिटाई, फिर जेल — Pgs. 816. छात्र आंदोलन में गिरफ्तार — Pgs. 85परिर्वतन पर चिंतन1. सामाजिक परिर्वतन की चुनौती — Pgs. 912. सामाजिक पृष्ठभूमि के आईने में झाँकता आरक्षण का औचित्य — Pgs. 963. आरक्षण की आग में जलता गुजरात — Pgs. 1104. उत्तर प्रदेश उर्दू के भँवर में — Pgs. 1185. अपनों ने दिया बिहार सिंड्रोम का दाग — Pgs. 1256. आखिर कब तक दोयम नागरिक की जिंदगीजीते रहेंगे कश्मीरी हिंदू? — Pgs. 1307. सामाजिक परिर्वतन की चुनौती — Pgs. 136सदन मुखर प्रतिरोध1. घोटालों में आकंठ डूबी लालू सरकार — Pgs. 1432. दबंगई पर उतरे राबड़ी सरकार के मंत्री औरभ्रष्टाचार में डूबी नौकरशाही — Pgs. 1513. बिहार के लिए वरदान सिद्ध होगा झारखंड का गठन — Pgs. 1634. बिहार शर्मसार, अपराधियों के साथ सरकार — Pgs. 1835. राबड़ी सरकार में चौपट हुआ बिहार — Pgs. 1956. झारखंड बनने के बाद अंधकार में डूबा बिहार — Pgs. 2107. भाजपा की सक्रियता से पशुपालन घोटाला में लालू पर चार्जशीट — Pgs. 2158. बिहार पर भारी पड़ा 200 करोड़ रुपए का अलकतरा घोटाला — Pgs. 2269. हमारे सदन में इतना शोर क्यों है? — Pgs. 232यादगार मुलाकातें1. उग्रवाद से धधकते पंजाब में भिंडरवाला सेएक हैरतअंगेज मुलाकात — Pgs. 2392. विनोबा के मौन आशीर्वाद से मिली ऊर्जा — Pgs. 244महापुरुषों का जीवन1. मैं हिंदू उत्पन्न हुआ हूँ, लेकिन मरूँगा नहीं — Pgs. 2512. सिख गुरुओं का बलिदान कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी — Pgs. 2583. क्रांतिकारियों का स्मरण आधी रात में अस्त हुआ क्रांति का सूर्य... 273विदेश यात्राओं के अनुभव1. बिहारी मजदूरों के पसीने और आँसू ने सींचे मॉरीशस के खेत — Pgs. 2812. हमारी राहें रोशन कर सकते हैं चीन, जापान, कनाडा — Pgs. 286
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