निस्संदेह ‘पद्मावत’ सूफ़ी कवि मलिक मोहम्मद जायसी की सर्वाधिक लोकप्रिय रचना है और उनका सबसे बड़ा कीर्ति-स्तंभ भी। लेकिन उनका रचना-संसार इससे कहीं बहुत अधिक फैला हुआ है। जायसी ने अपने जीवन में 25 रचनाओं को रचा, लेकिन इनमें से आज तक केवल सात ही उपलब्ध हो पायी हैं। पहली बार उन सात उपलब्ध कथा-काव्य रचनाओं के अंशों का संकलन एक ही पुस्तक में प्रस्तुत है। जायसी का प्रबंध-विधान मसनवी और भारतीय चरित काव्य से अलग, एक अलग तरह का इस्लामी-सूफ़ी प्रबंध-विधान है। जायसी इस्लाम धर्म को माननेवाले सूफ़ी संत थे और उनकी कविताओं में सूफ़ी दर्शन और विचारधारा बहुत सघन और निरंतर है। उन्हें भारतीय धर्म, दर्शन, अध्यात्म और देवी-देवताओं का भी ज्ञान था। उनकी रचनाओं में महादेव, रामायण, लंका, राम, सीता, हनुमान और वेदों का भी उल्लेख मिलता है। और शायद यही मिली-जुली हिन्दुस्तानी विरासत उनकी रचनाओं की सफलता का कारण है।
इस पुस्तक का चयन व संपादन माधव हाड़ा ने किया है, जिनकी ख्याति भक्तिकाल के मर्मज्ञ के रूप में है। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष माधव हाड़ा भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में फ़ैलो रहे हैं। संप्रति वे वहाँ की पत्रिका चेतना के संपादक हैं।