Numaainda Kahaaniyaan Premchand
by Premchand
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Author | Premchand |
Language | Hindi |
Publisher | Rekhta Publications |
Pages | 149 |
ISBN | 978-9391080938 |
Book Type | Paperback |
Item Weight | 0.3 kg |
Edition | 1st |
Numaainda Kahaaniyaan Premchand
About Author
'रेख़्ता कथा साहित्य' रेख़्ता बुक्स की नई कोशिश का नाम है जिसके तहत उर्दू के अज़ीम कहानीकारों की नुमाइन्दा कहानियाँ देवनागरी में संकलित की रही हैं| प्रस्तुत किताब 'रेख़्ता कथा साहित्य’ सिलसिले के तहत प्रकाशित मश्हूर कहानीकार प्रेमचंद की चुनिन्दा उर्दू कहानियों का संकलन है जिसे पाठकों के लिए देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया जा रहा है|
About Author
उर्दू और हिंदी कहानी के शीर्ष-पुरुष धनपत राय श्रीवास्तव ‘प्रेमचंद’ 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के लमही गाव में, एक कायस्थ परिवार में पैदा हुए| उन्होंने उर्दू और हिंदी कथा-साहित्य को ख़याली और काल्पनिक क़िस्सों के माहौल से निकाल कर एक नए यथार्थ की ज़मीन पर स्थापित किया और इस तरह कहानी के एक नए युग की शुरूआ’त हुई| कहानीकार होने के साथ ही एक विचारक की हैसियत से भी उन्होंने बहुत प्रभावशाली भूमिका निभाई|
उन्होंने सेवा-सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि,निर्मला, ग़बन, कर्मभूमि, गोदान सहित लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा सहित तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं ज़माना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि के लिए लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। वो फ़िल्म-लेखन के लिए मुम्बई भी गए मगर वहाँ के माहौल से निराश होकर वापस आ गए| सारी ज़िन्दगी साहित्य-साधना को समर्पित रहने वाले प्रेमचंद ने 08 अक्तूबर, 1936 को आख़िरी साँस ली|
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