Tyagpatra

Jainendra Kumar

Rs. 85

हिंदी के अनन्य रचनाकार जैनेंद्र कुमार की तीसरी औपन्यासिक कृति `त्यागपत्र` है। इसका प्रकाशन सन 1937 में हुआ। इसका अनुवाद अनेक प्रादेशिक तथा विदेशी भाषाओं में हो चुका है। हिंदी के भी सर्वश्रेष्ठ लघु उपन्यासों में मृणाल नामक युवती के जीवन पर आधारित यह मार्मिक एवं मनोवैज्ञानिक उपन्यास है।About the... Read More

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Anurodh Sharma

Tyagpatra

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हिंदी के अनन्य रचनाकार जैनेंद्र कुमार की तीसरी औपन्यासिक कृति `त्यागपत्र` है। इसका प्रकाशन सन 1937 में हुआ। इसका अनुवाद अनेक प्रादेशिक तथा विदेशी भाषाओं में हो चुका है। हिंदी के भी सर्वश्रेष्ठ लघु उपन्यासों में मृणाल नामक युवती के जीवन पर आधारित यह मार्मिक एवं मनोवैज्ञानिक उपन्यास है।


About the Author:
त्यागपत्र, कल्याणी, सुखदा, परख और सुनीता जैसी महत्त्वपूर्ण कृतियों के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेन्द्र कुमार अपनी लेखनी से भारतीय सामाजिक तथा राजनीतिक परिवेश में भी गहरी दखल रखते हैं।
Description


हिंदी के अनन्य रचनाकार जैनेंद्र कुमार की तीसरी औपन्यासिक कृति `त्यागपत्र` है। इसका प्रकाशन सन 1937 में हुआ। इसका अनुवाद अनेक प्रादेशिक तथा विदेशी भाषाओं में हो चुका है। हिंदी के भी सर्वश्रेष्ठ लघु उपन्यासों में मृणाल नामक युवती के जीवन पर आधारित यह मार्मिक एवं मनोवैज्ञानिक उपन्यास है।


About the Author:
त्यागपत्र, कल्याणी, सुखदा, परख और सुनीता जैसी महत्त्वपूर्ण कृतियों के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेन्द्र कुमार अपनी लेखनी से भारतीय सामाजिक तथा राजनीतिक परिवेश में भी गहरी दखल रखते हैं।

Additional Information
Title

Default title

Publisher Setu Prakashan
Language Hindi
ISBN 9789393758101
Pages 88
Publishing Year 2022

Tyagpatra


हिंदी के अनन्य रचनाकार जैनेंद्र कुमार की तीसरी औपन्यासिक कृति `त्यागपत्र` है। इसका प्रकाशन सन 1937 में हुआ। इसका अनुवाद अनेक प्रादेशिक तथा विदेशी भाषाओं में हो चुका है। हिंदी के भी सर्वश्रेष्ठ लघु उपन्यासों में मृणाल नामक युवती के जीवन पर आधारित यह मार्मिक एवं मनोवैज्ञानिक उपन्यास है।


About the Author:
त्यागपत्र, कल्याणी, सुखदा, परख और सुनीता जैसी महत्त्वपूर्ण कृतियों के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक कथाकार जैनेन्द्र कुमार अपनी लेखनी से भारतीय सामाजिक तथा राजनीतिक परिवेश में भी गहरी दखल रखते हैं।