Ghazal Usne Chhedi (Vol-4)

EDITOR-FARHAT EHSAAS

Rs. 499 Rs. 419

About Book ग़ज़ल उसने छेड़ी ... उर्दू ग़ज़ल की विकास यात्रा का आईना ग़ज़ल उसने छेड़ी ... अमीर ख़ुसरो से लेकर आजतक, लगभग 800 वर्षों के दौरान, उर्दू ग़ज़ल की पूरी विकास-यात्रा का एक ऐसा आईना है, जिसमें इस शा’इरी के सारे रचनात्मक वैभव और अनुभव-संसार की सारी विविधता के... Read More

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About Book

ग़ज़ल उसने छेड़ी ... उर्दू ग़ज़ल की विकास यात्रा का आईना ग़ज़ल उसने छेड़ी ... अमीर ख़ुसरो से लेकर आजतक, लगभग 800 वर्षों के दौरान, उर्दू ग़ज़ल की पूरी विकास-यात्रा का एक ऐसा आईना है, जिसमें इस शा’इरी के सारे रचनात्मक वैभव और अनुभव-संसार की सारी विविधता के हर मुमकिन रंगों, लहजों और ज़ायकों को उनकी सारी जादूगरी और बाँकपन के साथ पेश करने की कोशिश की गई है।

Urdu Ghazal is one of the most prominent forms of Urdu poetry that have survived the passage of time. Despite almost eight hundred years of its existence, ghazal hasn’t lost its sheen. Instead, it still resonates in the hearts of poetry enthusiasts with the same fervor. Ghazal in its journey from Amir Khusro to what it is today has seen many ups and downs. Farhat Ehsas is one of the most prominent contemporary Urdu poets, and he has tried to capture this journey of Ghazal with the help of ‘Ghazal usne chhedi’ series. With the help of these books one can enjoy the beautiful journey of ghazal. These books are in Devanagri script and meanings are also attached with the difficult words to make it convenient for readers.

About Author

फ़रहत एहसास (फ़रहतुल्लाह ख़ाँ) बहराइच (उत्तर प्रदेश) में 25 दिसम्बर 1950 को पैदा हुए। अ’लीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्ति के बा’द 1979 में दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक ‘हुजूम’ का सह-संपादन। 1987 में उर्दू दैनिक ‘क़ौमी आवाज़’ दिल्ली से जुड़े और कई वर्षों तक उस के इतवार एडीशन का संपादन किया जिस से उर्दू में रचनात्मक और वैचारिक पत्रकारिता के नए मानदंड स्थापित हुए। 1998 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जुड़े और वहाँ से प्रकाशित दो शोध-पत्रिकाओं (उर्दू, अंग्रेज़ी) के सह-संपादक के तौर पर कार्यरत रहे। इसी दौरान उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और बी.बी.सी. उर्दू सर्विस के लिए कार्य किया और समसामयिक विषयों पर वार्ताएँ और टिप्पणियाँ प्रसारित कीं। फ़रहत एहसास अपने वैचारिक फैलाव और अनुभवों की विशिष्टता के लिए जाने जाते हैं। उर्दू के अ’लावा, हिंदी, ब्रज, अवधी और अन्य भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी व अन्य पश्चिमी भाषाओं के साहित्य के साथ गहरी दिलचस्पी। भारतीय और पश्चिमी दर्शन से भी अंतरंग वैचारिक संबंध। सम्प्रति ‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ में मुख्य संपादक के पद पर कार्यरत।

    Description

    About Book

    ग़ज़ल उसने छेड़ी ... उर्दू ग़ज़ल की विकास यात्रा का आईना ग़ज़ल उसने छेड़ी ... अमीर ख़ुसरो से लेकर आजतक, लगभग 800 वर्षों के दौरान, उर्दू ग़ज़ल की पूरी विकास-यात्रा का एक ऐसा आईना है, जिसमें इस शा’इरी के सारे रचनात्मक वैभव और अनुभव-संसार की सारी विविधता के हर मुमकिन रंगों, लहजों और ज़ायकों को उनकी सारी जादूगरी और बाँकपन के साथ पेश करने की कोशिश की गई है।

    Urdu Ghazal is one of the most prominent forms of Urdu poetry that have survived the passage of time. Despite almost eight hundred years of its existence, ghazal hasn’t lost its sheen. Instead, it still resonates in the hearts of poetry enthusiasts with the same fervor. Ghazal in its journey from Amir Khusro to what it is today has seen many ups and downs. Farhat Ehsas is one of the most prominent contemporary Urdu poets, and he has tried to capture this journey of Ghazal with the help of ‘Ghazal usne chhedi’ series. With the help of these books one can enjoy the beautiful journey of ghazal. These books are in Devanagri script and meanings are also attached with the difficult words to make it convenient for readers.

    About Author

    फ़रहत एहसास (फ़रहतुल्लाह ख़ाँ) बहराइच (उत्तर प्रदेश) में 25 दिसम्बर 1950 को पैदा हुए। अ’लीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्ति के बा’द 1979 में दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक ‘हुजूम’ का सह-संपादन। 1987 में उर्दू दैनिक ‘क़ौमी आवाज़’ दिल्ली से जुड़े और कई वर्षों तक उस के इतवार एडीशन का संपादन किया जिस से उर्दू में रचनात्मक और वैचारिक पत्रकारिता के नए मानदंड स्थापित हुए। 1998 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जुड़े और वहाँ से प्रकाशित दो शोध-पत्रिकाओं (उर्दू, अंग्रेज़ी) के सह-संपादक के तौर पर कार्यरत रहे। इसी दौरान उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और बी.बी.सी. उर्दू सर्विस के लिए कार्य किया और समसामयिक विषयों पर वार्ताएँ और टिप्पणियाँ प्रसारित कीं। फ़रहत एहसास अपने वैचारिक फैलाव और अनुभवों की विशिष्टता के लिए जाने जाते हैं। उर्दू के अ’लावा, हिंदी, ब्रज, अवधी और अन्य भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी व अन्य पश्चिमी भाषाओं के साहित्य के साथ गहरी दिलचस्पी। भारतीय और पश्चिमी दर्शन से भी अंतरंग वैचारिक संबंध। सम्प्रति ‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ में मुख्य संपादक के पद पर कार्यरत।

      Additional Information
      Book Type

      Paperback

      Publisher Rekhta Publications
      Language Hindi
      ISBN 978-8192664880
      Pages 348
      Publishing Year 2017

      Ghazal Usne Chhedi (Vol-4)

      About Book

      ग़ज़ल उसने छेड़ी ... उर्दू ग़ज़ल की विकास यात्रा का आईना ग़ज़ल उसने छेड़ी ... अमीर ख़ुसरो से लेकर आजतक, लगभग 800 वर्षों के दौरान, उर्दू ग़ज़ल की पूरी विकास-यात्रा का एक ऐसा आईना है, जिसमें इस शा’इरी के सारे रचनात्मक वैभव और अनुभव-संसार की सारी विविधता के हर मुमकिन रंगों, लहजों और ज़ायकों को उनकी सारी जादूगरी और बाँकपन के साथ पेश करने की कोशिश की गई है।

      Urdu Ghazal is one of the most prominent forms of Urdu poetry that have survived the passage of time. Despite almost eight hundred years of its existence, ghazal hasn’t lost its sheen. Instead, it still resonates in the hearts of poetry enthusiasts with the same fervor. Ghazal in its journey from Amir Khusro to what it is today has seen many ups and downs. Farhat Ehsas is one of the most prominent contemporary Urdu poets, and he has tried to capture this journey of Ghazal with the help of ‘Ghazal usne chhedi’ series. With the help of these books one can enjoy the beautiful journey of ghazal. These books are in Devanagri script and meanings are also attached with the difficult words to make it convenient for readers.

      About Author

      फ़रहत एहसास (फ़रहतुल्लाह ख़ाँ) बहराइच (उत्तर प्रदेश) में 25 दिसम्बर 1950 को पैदा हुए। अ’लीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्ति के बा’द 1979 में दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक ‘हुजूम’ का सह-संपादन। 1987 में उर्दू दैनिक ‘क़ौमी आवाज़’ दिल्ली से जुड़े और कई वर्षों तक उस के इतवार एडीशन का संपादन किया जिस से उर्दू में रचनात्मक और वैचारिक पत्रकारिता के नए मानदंड स्थापित हुए। 1998 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से जुड़े और वहाँ से प्रकाशित दो शोध-पत्रिकाओं (उर्दू, अंग्रेज़ी) के सह-संपादक के तौर पर कार्यरत रहे। इसी दौरान उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और बी.बी.सी. उर्दू सर्विस के लिए कार्य किया और समसामयिक विषयों पर वार्ताएँ और टिप्पणियाँ प्रसारित कीं। फ़रहत एहसास अपने वैचारिक फैलाव और अनुभवों की विशिष्टता के लिए जाने जाते हैं। उर्दू के अ’लावा, हिंदी, ब्रज, अवधी और अन्य भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी व अन्य पश्चिमी भाषाओं के साहित्य के साथ गहरी दिलचस्पी। भारतीय और पश्चिमी दर्शन से भी अंतरंग वैचारिक संबंध। सम्प्रति ‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ में मुख्य संपादक के पद पर कार्यरत।