Allah Miyan Ka Karkhana

Rs. 349

Allah Miyan Ka Karkhana by Mohsin Khan लेखक के बारे में: नॉवेल निगार मोहसिन ख़ान उर्दू फ़िक्शन के नुमाइन्दा व पुख़्ता क़लमकार की हैसियत से कई दहाइयों से फ़िक्शन लिखते आ रहे हैं| उम्दा अफ़्सानों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उन्होंने काफ़ी कुछ लिखा है| अफ़्साना ज़ोहरा इस नॉवेल... Read More

Reviews

Customer Reviews

Based on 18 reviews
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Y
Yash Raj
Allah Miyan ka karkhana

It is gem of books and I am really feel honoured to have it. Author capture and write every small details and incident that reminds you of your childhood.
Although this book a give a happy vibe through out but in the ending it will left you with some tough and depressed questions.

R
R C Kulmi
Allah miya ka karkhana

The books theme is based on muslim boy n sister, their childhood activities. Book is interesting but the author should have emphasised on modern education instead of madarsa.

S
Saddam Hayat
An intriguing book.. Worth read!!

Mohsin Khan weaves a tapestry of emotions leaving readers spellbound. A literary gem. Behtareen Kitab ..

मोहम्मद इरशाद

Allah Miyan Ka Karkhana

i
indu
Allah Miyan Ka Karkhana

Allah Miyan Ka Karkhana - ek mazedaar kahaani, jahan hasi aur hikayat ka rang hai. ye mujhe bahut achcha lga.

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Allah Miyan Ka Karkhana by Mohsin Khan

लेखक के बारे में:
नॉवेल निगार मोहसिन ख़ान उर्दू फ़िक्शन के नुमाइन्दा व पुख़्ता क़लमकार की हैसियत से कई दहाइयों से फ़िक्शन लिखते आ रहे हैं| उम्दा अफ़्सानों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उन्होंने काफ़ी कुछ लिखा है| अफ़्साना ज़ोहरा इस नॉवेल से पहले मोहसिन ख़ान के शाहकार अफ़्साने के तौर पर पढ़ा गया| ये अफ़्साना इस क़दर पसन्द किया गया कि उमर मेमन ने इस अफ़्साने की मक़बूलियत से मुतास्सिर हो कर अंग्रेज़ी में इसका तर्जुमा किया| मोहसिन ख़ान लखनऊ के ज़बानी सलीक़े की नुमाइन्दगी करते हैं| ज़बान में सफ़ाई और आसानी बाक़ी रखना इनकी ख़ूबी है| वो रिवायतों की मुश्किलों से दूर, ज़िन्दगी के मुआमलात से सही मज़मून हासिल करते हैं और तहरीरी तर्ज़ की सतह पर किसी पेचीदगी को राह दिए बग़ैर बड़ी बारीकी से उन कोनों तक पढ़ने वाले को ले जाते हैं जो उसके देखे हुए हैं, जब वो फ़नकार की आँख की रहनुमाई पा कर इन्हें देखता है तो दम-ब-ख़ुद रह जाता है| आम सी बात उसके लिए हैरानी का वाक़िया, सानिहा और हादिसा बन जाती है|



किताब के बारे में:
रेख़्ता पब्लिकेशंस और राजकमल प्रकाशन के सह-प्रकाशन में प्रकाशित यह किताब एक बच्चे के दृष्टिकोण से इस दुनिया को देखने-दिखाने की कोशिश करती है। पाठकों को उपन्यास के मुख्य पात्र 9 साल के जिब्रान के माध्यम से बाल-मन में उठने वाली कई सहज-सुलभ जिज्ञासाओं के बारे में जानने को मिलता है। कई बार उसके मन में उठने वाले सवाल और उसके जीवन में होने वाली घटनाएँ पाठक की भावनाओं को उद्वेलित करती  हैं और पढ़ने वाले उस छोटे से लड़के से जुड़-से जाते हैं।  
Description
Allah Miyan Ka Karkhana by Mohsin Khan

लेखक के बारे में:
नॉवेल निगार मोहसिन ख़ान उर्दू फ़िक्शन के नुमाइन्दा व पुख़्ता क़लमकार की हैसियत से कई दहाइयों से फ़िक्शन लिखते आ रहे हैं| उम्दा अफ़्सानों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उन्होंने काफ़ी कुछ लिखा है| अफ़्साना ज़ोहरा इस नॉवेल से पहले मोहसिन ख़ान के शाहकार अफ़्साने के तौर पर पढ़ा गया| ये अफ़्साना इस क़दर पसन्द किया गया कि उमर मेमन ने इस अफ़्साने की मक़बूलियत से मुतास्सिर हो कर अंग्रेज़ी में इसका तर्जुमा किया| मोहसिन ख़ान लखनऊ के ज़बानी सलीक़े की नुमाइन्दगी करते हैं| ज़बान में सफ़ाई और आसानी बाक़ी रखना इनकी ख़ूबी है| वो रिवायतों की मुश्किलों से दूर, ज़िन्दगी के मुआमलात से सही मज़मून हासिल करते हैं और तहरीरी तर्ज़ की सतह पर किसी पेचीदगी को राह दिए बग़ैर बड़ी बारीकी से उन कोनों तक पढ़ने वाले को ले जाते हैं जो उसके देखे हुए हैं, जब वो फ़नकार की आँख की रहनुमाई पा कर इन्हें देखता है तो दम-ब-ख़ुद रह जाता है| आम सी बात उसके लिए हैरानी का वाक़िया, सानिहा और हादिसा बन जाती है|



किताब के बारे में:
रेख़्ता पब्लिकेशंस और राजकमल प्रकाशन के सह-प्रकाशन में प्रकाशित यह किताब एक बच्चे के दृष्टिकोण से इस दुनिया को देखने-दिखाने की कोशिश करती है। पाठकों को उपन्यास के मुख्य पात्र 9 साल के जिब्रान के माध्यम से बाल-मन में उठने वाली कई सहज-सुलभ जिज्ञासाओं के बारे में जानने को मिलता है। कई बार उसके मन में उठने वाले सवाल और उसके जीवन में होने वाली घटनाएँ पाठक की भावनाओं को उद्वेलित करती  हैं और पढ़ने वाले उस छोटे से लड़के से जुड़-से जाते हैं।  

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Additional Information
Book Type

Hindi, Urdu

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Publishing Year

Allah Miyan Ka Karkhana

Allah Miyan Ka Karkhana by Mohsin Khan

लेखक के बारे में:
नॉवेल निगार मोहसिन ख़ान उर्दू फ़िक्शन के नुमाइन्दा व पुख़्ता क़लमकार की हैसियत से कई दहाइयों से फ़िक्शन लिखते आ रहे हैं| उम्दा अफ़्सानों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उन्होंने काफ़ी कुछ लिखा है| अफ़्साना ज़ोहरा इस नॉवेल से पहले मोहसिन ख़ान के शाहकार अफ़्साने के तौर पर पढ़ा गया| ये अफ़्साना इस क़दर पसन्द किया गया कि उमर मेमन ने इस अफ़्साने की मक़बूलियत से मुतास्सिर हो कर अंग्रेज़ी में इसका तर्जुमा किया| मोहसिन ख़ान लखनऊ के ज़बानी सलीक़े की नुमाइन्दगी करते हैं| ज़बान में सफ़ाई और आसानी बाक़ी रखना इनकी ख़ूबी है| वो रिवायतों की मुश्किलों से दूर, ज़िन्दगी के मुआमलात से सही मज़मून हासिल करते हैं और तहरीरी तर्ज़ की सतह पर किसी पेचीदगी को राह दिए बग़ैर बड़ी बारीकी से उन कोनों तक पढ़ने वाले को ले जाते हैं जो उसके देखे हुए हैं, जब वो फ़नकार की आँख की रहनुमाई पा कर इन्हें देखता है तो दम-ब-ख़ुद रह जाता है| आम सी बात उसके लिए हैरानी का वाक़िया, सानिहा और हादिसा बन जाती है|



किताब के बारे में:
रेख़्ता पब्लिकेशंस और राजकमल प्रकाशन के सह-प्रकाशन में प्रकाशित यह किताब एक बच्चे के दृष्टिकोण से इस दुनिया को देखने-दिखाने की कोशिश करती है। पाठकों को उपन्यास के मुख्य पात्र 9 साल के जिब्रान के माध्यम से बाल-मन में उठने वाली कई सहज-सुलभ जिज्ञासाओं के बारे में जानने को मिलता है। कई बार उसके मन में उठने वाले सवाल और उसके जीवन में होने वाली घटनाएँ पाठक की भावनाओं को उद्वेलित करती  हैं और पढ़ने वाले उस छोटे से लड़के से जुड़-से जाते हैं।