Allah Miyan Ka Karkhana by Mohsin Khan
लेखक के बारे में:
नॉवेल निगार मोहसिन ख़ान उर्दू फ़िक्शन के नुमाइन्दा व पुख़्ता क़लमकार की हैसियत से कई दहाइयों से फ़िक्शन लिखते आ रहे हैं| उम्दा अफ़्सानों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी उन्होंने काफ़ी कुछ लिखा है| अफ़्साना ज़ोहरा इस नॉवेल से पहले मोहसिन ख़ान के शाहकार अफ़्साने के तौर पर पढ़ा गया| ये अफ़्साना इस क़दर पसन्द किया गया कि उमर मेमन ने इस अफ़्साने की मक़बूलियत से मुतास्सिर हो कर अंग्रेज़ी में इसका तर्जुमा किया| मोहसिन ख़ान लखनऊ के ज़बानी सलीक़े की नुमाइन्दगी करते हैं| ज़बान में सफ़ाई और आसानी बाक़ी रखना इनकी ख़ूबी है| वो रिवायतों की मुश्किलों से दूर, ज़िन्दगी के मुआमलात से सही मज़मून हासिल करते हैं और तहरीरी तर्ज़ की सतह पर किसी पेचीदगी को राह दिए बग़ैर बड़ी बारीकी से उन कोनों तक पढ़ने वाले को ले जाते हैं जो उसके देखे हुए हैं, जब वो फ़नकार की आँख की रहनुमाई पा कर इन्हें देखता है तो दम-ब-ख़ुद रह जाता है| आम सी बात उसके लिए हैरानी का वाक़िया, सानिहा और हादिसा बन जाती है|
किताब के बारे में:
रेख़्ता पब्लिकेशंस और राजकमल प्रकाशन के सह-प्रकाशन में प्रकाशित यह किताब एक बच्चे के दृष्टिकोण से इस दुनिया को देखने-दिखाने की कोशिश करती है। पाठकों को उपन्यास के मुख्य पात्र 9 साल के जिब्रान के माध्यम से बाल-मन में उठने वाली कई सहज-सुलभ जिज्ञासाओं के बारे में जानने को मिलता है। कई बार उसके मन में उठने वाले सवाल और उसके जीवन में होने वाली घटनाएँ पाठक की भावनाओं को उद्वेलित करती हैं और पढ़ने वाले उस छोटे से लड़के से जुड़-से जाते हैं।
Winner of the Bank of Baroda Rashtrabhasha Samman 2023 bha Ss 060 innk 2666 vid rekhta publications »336 Eq 1943 {\UGU3660209 BELGELIG BIGGEL MELAMUR SEE »13 S1366 Juz kinds FILIP_ " AI?"हें <{"_615362236764562 "4939631391 TS - 2 JÅ 5621_12_24ĻUSE JU Pensi JULYTHEFT T (( - PERSOILLA 6224&STU 1234 TUISBLJIRI-FL„BITÉRIE $250 CIGAsed 11 061/66}UCUN Fay PIM_ZÍ ZÁZ6JCLVÏt 26 উ-61-6VY9U13946°eebe jos r Seces # JILLE SLŲ_BÍL;!; √ √ √, 2V UYULUNA 36/3,2 WUREUBE Casigutur/mbvEE ëÍí Re loco, 2112 5-53222%00¥»;}6} cudurge 4130% 12.E,U31,7 LLULAGINJ-16 12 JALAUŽABI POPUL UMALLINA "SEKLALYSSA EVUL ZŲĘ Z z liefËönene pt g/Gt/prut-style 3&s:063,&q Z MULBULE26d03 xu "WZ !! “beluĘ BLC2 z z Á CIÓK JEST JU "JEUTELA Smut